Monday, June 29, 2009

छुट्टी खत्‍म

छुट्टी बीती,
खुले स्‍कूल।
रोज तैयार हो,
हम चले स्‍कूल।।

मैडम आई,
दोस्‍त भी आये,
सबने मिलकर,
छुट्टी की बातें सुनाई।।

जो गाँव गया वो,
आम भी खाया जामुन भी खाया।
जो शहर गये,
वो लाल किला और ताजमहल को देखा।।

कुछ ने छुट्टी का किया सदउपयोग,
अपने पाठ्यक्रम को दुहराया खूब।
कुछ न छुट्टी भर मस्‍ती की,
और एडमिशन पाने में सुस्‍ती की।।

अब छुट्टी हो गई है खत्‍म,
सपना तोड़ो जागों अब।
नई क्‍लास में खूब करो पढ़ाई,
ताकि बन जाओं ''राजा भाई''।।


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6 पाठकों का कहना है :

समयचक्र का कहना है कि -

बढ़िया रचना .

Nitish Raj का कहना है कि -

हमारे बच्चे की छुट्टियां तो बढ़ा दी गई हैं क्योंकि गर्मी बहुत पड़ रही है। चलो फुहार आए तो कुछ राहत मिले और बच्चे चलें स्कूल। अच्छी रचना। अपने बच्चे को भी पढ़ाऊंगा।

Manju Gupta का कहना है कि -

Bal kavita ke liye badhayi.
Bal manovigyan ka prayog sarahaniya
hai.

manu का कहना है कि -

छुट्टियां तो ख़त्म...
पर ना तो मैडम आयी...और ना ही मोनिटर...

Pramendra Pratap Singh का कहना है कि -

आप सभी का बहुत बहुत धन्‍यवाद

Shamikh Faraz का कहना है कि -

अब छुट्टी हो गई है खत्‍म,
सपना तोड़ो जागों अब।
नई क्‍लास में खूब करो पढ़ाई,
ताकि बन जाओं ''राजा भाई''

अच्छी कविता. बधाई.

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