छुट्टी खत्म
छुट्टी बीती,
खुले स्कूल।
रोज तैयार हो,
हम चले स्कूल।।
मैडम आई,
दोस्त भी आये,
सबने मिलकर,
छुट्टी की बातें सुनाई।।
जो गाँव गया वो,
आम भी खाया जामुन भी खाया।
जो शहर गये,
वो लाल किला और ताजमहल को देखा।।
कुछ ने छुट्टी का किया सदउपयोग,
अपने पाठ्यक्रम को दुहराया खूब।
कुछ न छुट्टी भर मस्ती की,
और एडमिशन पाने में सुस्ती की।।
अब छुट्टी हो गई है खत्म,
सपना तोड़ो जागों अब।
नई क्लास में खूब करो पढ़ाई,
ताकि बन जाओं ''राजा भाई''।।
खुले स्कूल।
रोज तैयार हो,
हम चले स्कूल।।
मैडम आई,
दोस्त भी आये,
सबने मिलकर,
छुट्टी की बातें सुनाई।।
जो गाँव गया वो,
आम भी खाया जामुन भी खाया।
जो शहर गये,
वो लाल किला और ताजमहल को देखा।।
कुछ ने छुट्टी का किया सदउपयोग,
अपने पाठ्यक्रम को दुहराया खूब।
कुछ न छुट्टी भर मस्ती की,
और एडमिशन पाने में सुस्ती की।।
अब छुट्टी हो गई है खत्म,
सपना तोड़ो जागों अब।
नई क्लास में खूब करो पढ़ाई,
ताकि बन जाओं ''राजा भाई''।।
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6 पाठकों का कहना है :
बढ़िया रचना .
हमारे बच्चे की छुट्टियां तो बढ़ा दी गई हैं क्योंकि गर्मी बहुत पड़ रही है। चलो फुहार आए तो कुछ राहत मिले और बच्चे चलें स्कूल। अच्छी रचना। अपने बच्चे को भी पढ़ाऊंगा।
Bal kavita ke liye badhayi.
Bal manovigyan ka prayog sarahaniya
hai.
छुट्टियां तो ख़त्म...
पर ना तो मैडम आयी...और ना ही मोनिटर...
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
अब छुट्टी हो गई है खत्म,
सपना तोड़ो जागों अब।
नई क्लास में खूब करो पढ़ाई,
ताकि बन जाओं ''राजा भाई''
अच्छी कविता. बधाई.
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