मेरी गुड़िया
मेरी गुड़िया प्यारी-प्यारी
बातें उसकी न्यारी-न्यारी
नन्ही सी यह फूल सी बच्ची
छोटी सी पर दिल की सच्ची
कोमल-कोमल हाथों वाली
नीली-नीली आँखों वाली
गोरे-गोरे गाल हैं उसके
भूरे-भूरे बाल हैं उसके
नन्हे पैरों से जब चलती
गिर जाए तो ख़ुद ही संभलती
जाय वहीं मम्मी जहाँ जाय
ख़ाय वही मम्मी जो खिलाय
पापा की है राज दुलारी
मम्मी की है दुनिया सारी
पापा जब आफ़िस से आएँ
झट उनकी गोदि चढ़ जाए
परियों की सी मेरी रानी
बातों में तो सब की नानी
बोले जब वह तूतली बोली
भर जाए खुशियों से झोली
मम्मी पापा की जिंद-जान
करेगी जग में ऊँचा नाम
मीठी-मीठी शहद की पुड़िया
कितनी प्यारी है मेरी गुड़िया
-सीमा सचदेव
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12 पाठकों का कहना है :
Dhanyavaad BAAL-UDYAAN ,Maine to kavita bheji thi lekin jis pyaari si gudiya ki tasveer yahaa lagee hai , use dekhkar laga ki yah kavita shaayad usi ke liye hi likhi gai hai , aur last paragraph me ek pankti me shabd JAG hai na ki JAAG ....
"KAREGI JAG ME OONCHA NAAM "
Seema Sachdev
good one
सीमा जी,
आपकी गुड़िया बहुत प्यारी है।
आपने बाल-उद्यान को बहुत खूबसूरत खूबसूरत कविताएँ दी हैं। अब कुछ बाल कहानियों पर भी काम कीजिए। कुछ रोचक और बिलकुल ताज़ी कहानियाँ बच्चों को ध्यान में रखकर लिखिए
बहुत प्यारी कविता और उतनी ही प्यारी तस्वीर..
एक गुड़िया (कविता) को हम पढ़ रहे हैं और एक गुड़िया हमको पढ़ रही है देखो जरा गौर से..
बहुत बहुत बधाई
मेरी गुड़िया और गुड़िया सहित दोनो ग़ुड़िया वालों को..
Shailesh ji Dhanyavaad ,aapko meri kavitaayen pasand aai ,jaankar achcha laga , maine baal-udyaan me bachcho ki kahaniyaan bheji hai, parkaashit bhi hui hai ,haa vo kavita ke maadhyam se hai ,isi liye aap shaayad gaday me likhane ki baat kar rahe hai , maine bahut si baal -kahaaniyaan likhi hai aur baal-manovigyaan kyonki mera M.ED. me main vishay raha aur ek saal tak college me child - psychology padhaaya bhi hai ,to kuch had tak main unki bhaavnaao ko samajh kar likhati hoo , mujhe lagata hai bachcho ko kavita ke maadhyam se kahaani jyaada pasand aati hai ,aur mujhe bhi kavita me likhana sahaj lagata hai fir bhi koshish karoongi gaday me likhane ki........
Bhupendar ji aur avneesh ji aapko kavita padhane aur saarthak tippani ke liye dhanyavaad.....seema sachdev
आपकी गुडिया वाकई बहुत प्यारी है। बधाई स्वीकारें।
aapki kavita bahut hi pyari hai bilkul aapki gudiya ki tarha komal or man ko chune wali hai.
बहुत सुंदर
सीमा जी जबकि आप बाल-मनोविज्ञान विशेषज्ञ हैं और आपने बहुत सोच समझकर कहानी को भी काव्य-रूप दिया है, तो निश्चित रूप से आपको बाल कविताओं पर ही ज़ोर देना चाहिए। मुझे तो लगा था कि हो सकता है सीमा जी ने बाल गद्य साहित्य पर बहुत कम काम किया हो, जबकि आप इस दिशा में बहुत काम कर चुकी हैं। आप इसी प्रकार साहित्य-कर्म करती रहें।
सीमाजी
बहुत प्यारी कविता लिखी है और साथ में चित्र भी बहुत प्यारा लगाया है। आनन्द आगया पढ़कर और देखकर। बधाई स्वीकारें।
बहुत सुंदर गुडिया :)
वाह! क्या गुडिया है! बहुत प्यारी सचदेव जी,बधाई
आलोक सिंघ "साहील"
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