ओणम
भारत के दक्षिणी पश्चिमी तट पर एक राज्य है, जिसका नाम है केरल, जिसकी राजधानी है, तिरुवनंतपुरम| जैसा कि आप सभी को पता है कि भारत त्योहारों व पर्वों का देश है, अतः आज हम बात करेंगे, केरल में मनाए जाने वाले एक विशिष्ट पर्व की जिसका नाम है-ओणम|
अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से तो यह अगस्त-सितम्बर में मनाया जाता है, पर केरलवासियों के (कैलेंडर), कोल्लावर्षम के हिसाब से श्रावण मास में मनाया जाता है, इस त्योहार के बारे में कहा जाता है कि भगवान् विष्णु ने इस दिन राजा बाली को केरल में आकर अपने प्रजा को देखने की आज्ञा दी थी, इस दिन केरल की प्रजा राजा के आगमन की खुशी में अपने घर को सजाती है तथा भिन्न-भिन्न तरीके के व्यंजन बनाकर केरल वासी बताते हैं कि उनकी प्रजा अत्यन्त ही प्रसन्न है|
इस दिन घर की औरतें व लडकियां बड़े ही हर्ष के साथ ओन्नापूकोलम (फूलों की रंगोली ) बनाती हैं, घर के मुखिया द्वारा दिए गए वस्त्र जिसे ओनाकोड्डी कहते है, परिवार के सभी सदस्य पहनते हैं, महिलायें अच्छे -अच्छे व्यंजन तैयार करती हैं, जिन्हें साद्य कहते हैं, साथ ही साथ रंगारंग नृत्य..............प्रस्तुत करती हैं, पुरूष वल्ल्म्कल्ली (नौका दौड़ ) की प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं, जो विश्व प्रसिद्ध है, इस तरह १० दिनों तक चलने वाला यह त्योहार हर केरल वासी को उमंग व उत्साह से भर देता है, इस त्योहार में उत्साह व उमंग का एक कारण यह भी कि इस समय केरल वासियों की फसलें तैयार होती हैं जो वर्ष भर की मेहनत का परिणाम होती है| चाय, अदरक, इलायची, कालीमिर्च के अतिरिक्त धान की फसल कटने को तैयार होती है, किसान प्रसन्न मन से नई फसल को घर लाने को तैयार होते हैं।
इस की ख़ास बात यह है कि यह न केवल हिंदू द्बारा मनाया जाने वाला त्योहार है, वरन इसे सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग पूरे हर्ष के साथ मनाते हैं, कहना न होगा कि यह हमारे देश कि एकता व अखंडता का प्रतीक भी बन चुका है।
प्रस्तुति- नीलम मिश्रा
ओन्नापूकोलम (रंगोली)
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7 पाठकों का कहना है :
इसे सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग पूरे हर्ष के साथ मनाते हैं, कहना न होगा कि यह हमारे देश कि एकता व अखंडता का प्रतीक भी बन चुका है। जानकारी देने के लिए धन्यवाद।
नीलम जी,
यह प्रयास आपका अत्यंत सराहनीय है। इंटरनेट पर हिन्दी में बालोपयोगी सामग्रियों का अभाव है, आप इन्हें बाल-उद्यान पर उपलब्ध कराकर विद्यार्थियों, अभिवावकों और अध्यापकों सभी की मदद कर रही हैं।
ati sundar jaankaari! congrats..
नीलम जी और भी बहुत कुछ होता है ओणम पर, पुरषों का एक नृत्य होता है जिसे पुलिकली कहा जात है जिसमे पुरूष अपने शरीर पर धारियां बना कर बाघ का रूप धारण कर लेते हैं और समूह बना कर नाचते हैं, देखने लायक समां होता है, लगता है जैसे बद्घों का समूह सड़क के बीचों बीच नाच रहा हो, ओणम ५ दिनों का त्यौहार है, तिरुओनाम के बाद अथ्हम और चमयम मनाया जाता है, खैर आपकी जानकारी बेहद अच्छी लगी
अच्छी जानकरी है।
अच्छी जानकरी है।
Neelam ji aapne ONAM par bahut achchi jaankaari ektar ki hai | Yahi ek maadhayam hai jab ham hajaaro meel door baithe bhee apne tyohaaro ,apni sabhyata ki jaankaari ek doosare ko de sakate hai aur jaane-anjaane ek doosare se jud jaate hai | itani achchi jaankaari ke liye dhanyavaad...Seema Sachdev
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