वरदान दो
माँ मुझे वरदान दो,
गीत सुर का ज्ञान दो ।
विश्व में सम्मान दो,
माँ मुझे वरदान दो ।
मधुर हो वाणी सदा,
कटु वचन न कहें कदा ।
राष्ट्र निज अभिमान दो,
माँ मुझे वरदान दो ।
सत्य पथ अरमान हो,
पाप से अनजान हों ।
पुण्य प्रेम संज्ञान दो,
माँ मुझे वरदान दो ।
ज्योति बन पथ पर जलें,
मार्ग परहित पर चलें ।
सृजन शक्ति महान दो,
माँ मुझे वरदान दो ।
माँ पिता पग स्वर्ग हो,
उनकी सेवा धर्म हो ।
साहस शौर्य मान दो
माँ मुझे वरदान दो ।
कवि कुलवंत सिंह

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6 पाठकों का कहना है :
बहुत अच्छा लिखा है कुलवंत जी !
मां शारदा की स्तुति बाल मुख से, आनंद आ गया !
कुलवंत जी,
बढ़िया प्रार्थना लिखी है आपने।
माँ पिता पग स्वर्ग हो,
उनकी सेवा धर्म हो ।
साहस शौर्य मान दो
माँ मुझे वरदान दो ।
"bhut acchee prarthna"
Regards
बहुत सुंदर कवि जी लिखा है आपने
Aap sabhi ko hardik dhanyavaad
बहुत सुन्दर वन्दना...
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