Friday, January 23, 2009

मेहनत

मेहनत से मिले संसार ।
इसकी माया अपरंपार ॥
सुखमय जीवन का आधार ।
रहे न तन में एक विकार ॥

मेहनत से जो रहता दूर ।
कैसे पाए फल अंगूर ॥
बिन मेहनत न दिखे बहार ।
जीवन हो सूना संसार ॥

मेहनत से न होती हार ।
हर मुश्किल कर जाते पार ॥
मेहनत से मिलता उत्थान ।
जीवन बन जाता वरदान ॥

मेहनत से हो स्वस्थ शरीर ।
तन से पौरुष, मन से वीर ॥
मेहनत हो अपना ईमान ।
सत्कर्मों से बनें महान ॥

मेहनत से होता हर काम ।
कितना ही दुष्कर हो धाम ॥
पर्वत को भी देते फोड़ ।
धार नदी की देते मोड़ ॥

मेहनत से बन जाते भाग ।
जीवन में भर जाते राग ॥
जीवन उनका बनता गीत ।
करते जो मेहनत से प्रीत ॥

कवि कुलवंत सिंह


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2 पाठकों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

मेहनत से होता हर काम ।
कितना ही दुष्कर हो धाम ॥
पर्वत को भी देते फोड़ ।
धार नदी की देते मोड़ ॥

उत्साहपूर्ण कविता
kulwant uncle ji ,thanku ji ,satsri akaal ji

आलोक साहिल का कहना है कि -

नए प्रवाह से भरी कविता..
आलोक सिंह "साहिल"

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