हथेली पर बाल
एक बार अकबर भरे दरबार में बैठे थे। अकबर के मन में अचानक एक विचार आया और उन्होंने दरबारियों से एक सवाल पूछा -"क्या आप बता सकते हैं कि मेरी हथेली पर बाल क्यूँ नही हैं?"
"जहाँपनाह! हथेली पर बाल होते ही नहीं हैं" सभी दरबारियों ने एक स्वर में कहा और गर्व से फूल गए कि उन्होंने बादशाह को आज इस सवाल का तरंत उत्तर दे दिया।
मगर अकबर बादशाह को आज इस सीधे-सादे उत्तर से क्या संतोष होना था, उन्होंने फिर पूछा -"क्यूँ नहीं होते?"
सब दरबारी चुप। क्या जवाब दें। जब हथेली पर बाल नहीं होते, तो नहीं होते। ये तो कुदरती बात है।
उन्हें चुप देखकर बादशाह ने बीरबल की तरफ़, "बीरबल तुम्हारा क्या खयाल है?"
बीरबल ने कहा,"जहाँपनाह! आप रोज-रोज अनेक गरीबों को दान देते हैं। जिससे आपकी हथेली लगातार घिसती रहती है। इसलिए इस पर बाल नहीं उग पाते।"
बीरबल का जवाब सुनकर बादशाह खुश हो गए।
मगर तुंरत ही ही उन्होंने पूछा, "माना कि दान देते रहने से हमारी हथेली में बाल नहीं उग पाते लेकिन तुम्हारी हथेली में बाल क्यों नहीं हैं?"
"जहाँपनाह! आप रोज-रोज मुझे ढेरों उपहार देते रहते हैं। उन उपहारों को लेते-लेते मेरी हथेली भी तो घिसती है!इसलिए मेरे हथेली में भी बाल नहीं उगे।"
अकबर ने सोचा, "बीरबल तो बहुत चतुर निकला, लेकिन आज वह बीरबल की पूरी परीक्षा लेना चाहते थे।
इसलिए फिर पूछा, "तुम्हारी और मेरी हथेलियाँ तो घिसती रहती हैं, लेकिन हमारे अन्य दरबारियों की हथेलियों में भी बाल नहीं उगे, इसका क्या कारण है?"
बीरबल ने हँसते हुए कहा, "यह तो बिल्कुल सरल बात है, आलमपनाह! आप मुझे प्रतिदिन उपहार देते हैं, इससे दरबारियों को भारी जलन होती है और ये हमेशा हाथ मलते रहते हैं। यदि हथेलियाँ लगातार घिसती रहें तो उन पर बाल कैसे उगेंगे?"
यह सुनकर अकबर खिलखिलाकर हँस पड़े। बीरबल से जलने वाले दरबारी और अधिक जल उठे ।
संकलन- नीलम मिश्रा
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11 पाठकों का कहना है :
नीलम जी,
क्या करते बिचारे बीरबल भी यदि अकबर का मन ना बहलाते तो जहाँपनाह उन्हें नौकरी से निकाल देते. इसीलिये तो अपना और परिवार का पेट भरने के लिये अंट-संट जबाब देना और अकबर की चापलूसी करने पर मजबूर थे. मन में तो उनके सवालों से किलसते रहते होंगें शायद. अकबर कोई काम-धंधा तो करते नहीं थे ना ही नेट का जमाना था. खाली समय में बीरबल का ही दिमाग चाटते थे. पर कुछ भी हो आपके दिमाग की daad deti हूँ की इतनी majedar hansane vali baaten लाती हैं. dhanybaad. लगता है की translation service में gadbadi हो गयी है. bye.
नीलम जी आपका ब्लाग तो बहुत खूबसूरत हो गया
कहानी भी दिलचस्प है।
बधाई।
अकबर बीरबल की बहुत दिलचस्प कहानी सुने आपने. मज़ा गया.
नीलमजी,
बहुत ही मनोरंजक व्याख्यान । मजा आया ।
कहानी बहुत ही अच्छी और हँसाने वाली है.....
ha ha ha birbal was really intelligent
और नीलम जी,
मेरी हथेली के बारे में आप बताइये? बीरबल तो अब हैं नहीं इस लोक में जो मैं पूछ पाती. कहीं ऐसा तो नहीं की आटा गूंध कर और घर का काम करके ऐसी हो. लेकिन आपका जबाब सुनने का इंतज़ार भी रहेगा.
नहीं नहीं शन्नो जी ,
आप की हथेली पर बाल न होने के निम्न लिखित कारण हो सकते हैं -
१)हिन्दयुग्म की बैठक में शामिल न होने पर,
२)प्रेम अंकल को कॉफी पीते हुए सोचने पर
३)मूली वाली कविता पर एक ही कमेन्ट मिलने पर .
४)भारत में nov se jan तक होने वाले भिन्न -भिन्न आयोजनों में शामिल न होने पर
५)हम लोगों से मिलने की इक्छा होने पर ,इत्यादि अनेक कारण होते है ,जिनपर आप हाथ मल कर हथेली पर बाल नहीं उगने दे सकती हैं
आशा करती हूँ आप किसी भी बात को अन्यथा नहीं लेंगी और सिर्फ हंस कर अपना स्वास्थय लाभ ही करेंगी
देवेन्द्र जी बस कुछ खुदा की नियामत है ,कुछ नियंत्रक महोदय (शैलेश )की मेहनत हैं ,कहानी पसंद आने के लिए शुक्रिया |
कहानी पसंद आने पर सभी को शुक्रिया ,टिप्पणी लिखने वालों का विशेष तौर पर शुक्रिया
नीलम जी,
आपके कमेंट्स पढ़कर आज तक हंसी के अलावा कुछ सूझा ही नहीं. और हथेली तो अब मल रही हूँ सोचकर की आपने मेरी लाचारिओं के बारे में इतनी रिसर्च कर डाली...... और बैठक की ठंडी कॉफी पीते हुए मेरे नबम्बर से जनवरी तक के प्लान को भी मेरे दिमाग से खोज लिया. अभी तक तो मैंने बताया भी नहीं और आपको पता कैसे लग गया? झुरझुरी सी आ रही है (डर के मारे शरीर के बाल खड़े हो गये हैं....हथेली को छोड़कर) की कहीं आपको ज्योतिष बिद्या तो नहीं आती या आप psychic तो नहीं हैं. आपको अपने प्लान के बारे में जल्द ही मेल करने वाली हूँ.
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