Monday, October 12, 2009

मेरा नाम टमाटर



मुझे टमाटर कहते हैं सब
खाये दिलवाले और कंजूस
अगर कचूमर निकले मेरा
तो बन जाता पीने को जूस।

सब पसंद करते हैं मुझको
लाल-लाल सा रंग है मेरा
मुझको शर्म बहुत आती है
जब कोई छूता मेरा चेहरा।

छुरी से कच्चा काट के खाओ
तो मेरा बन जाता है सलाद
चाट-मसाला छिड़क के देखो
आयेगा कितना मुझमें स्वाद।

शक्कर डाल के मुझे काओ
तो बन जाता हूँ सुर्ख सा जैम
टोस्ट पे लगा के खाते हैं तब
हर दिन मुझको अंकल सैम।

नीबू, नमक-मिर्च संग पीसो
तो बन जाती खट्टी चटनी मेरी
और पकाओ जब आलू के संग
तो बन जाता हूँ एक तरकारी।

पतला-पतला काटो यदि मुझको
बटर-चीज़ संग भर ब्रेड के बीच
लंच-बॉक्स में रख स्कूल चलो
सैंडविच खाकर सब जाओ रीझ।

जोर की भूख लगी हो अगर तुम्हें
तो मैगी में मिला कर मुझे उबालो
डालो फिर तनिक नमक-मसाला
और डाल के प्लेट में खाना खा लो।

--शन्नो अग्रवाल


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9 पाठकों का कहना है :

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

वाह क्या बात है शन्नोजी । टमाटर को खाने के सारे तरीके बता दिये । बहुत खूब ।

Disha का कहना है कि -

सुन्दर रचना

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

अनिल जी, दिशा जी
आप दोनों ने कविता पढ़ी और आपको अच्छी लगी इसका हार्दिक धन्यबाद.

neelam का कहना है कि -

शन्नो जी ,
कविता तो पहले ही पढ़ चके थे पर कमेंट्स लिखने में थोडी देरी के लिए माफ़ी मागती हूँ ,दोनों कान पकड़कर माफ़ किया न ,ये हुई न बात ,आपकी टमाटर की कविता मन को बहुत भायी,क्योंकि ऐसी कवितायें पढ़ते समय हम सब भी तो बच्चे ही बन जाते हैं ,हैं न ,कविता बहुत ही प्यारी है ,और हाँ टमाटर का चित्र भी लग रहा है की खेत में जाकर ही लिया गया है ,क्यूंकि
इतने ताजे टमाटर तो सिर्फ वहीँ मिल सकते हैं ??????????????

neelam का कहना है कि -

anil ji ,
aapne chitr badl hi diya ,isme bhi aap achche lag rahe hain sambhavtah:bhaarat aawas par li gayi hai ,dekha aapne apne desh ki to baat hi kuch aur hai

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

नीलम जी,
आपको भी धन्यबाद. अफ़सोस करने की कोई जरूरत नहीं है. देर सबेर तो हो ही जाती है इसमें बुरा मानने की क्या बात. और रही टमाटर की बात तो इसकी सुंदर तस्वीर के राज़ के पीछे अपने नियंत्रक जी का ही हाथ हो सकता है. और उनको ही यह श्रेय जाना चाहिये. मुझे पच नहीं रहा था क्योंकि इस तारीफ़ की असली हकदार मै नहीं हूँ. वैसे इतना ताज़ा और ह्रष्ट-पुष्ट टमाटर देखकर मुझे तो यह vine tomoto का प्रकार लग रहा है क्योंकि ओरगेनिक टमाटर जरा आड़े-तिरछे होते हैं. यह कविता भी ऐसी तस्वीर को पाकर खुश हो गयी है और नियंत्रक जी को मेरे साथ धन्यबाद कर रही है.

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

बच्चों के होठों पर एक मासूम गीत दे दिया

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

नीलमजी,

चित्र अच्छा लगा, धन्यवाद ।

Shamikh Faraz का कहना है कि -

कविता बढ़िया लगी. सबसे अच्छी बात यह लगी की आपने टमाटर को personify किया. वरना सीधे तौर पर कविता लिख देने में मज़ा नहीं आता.

मुझे टमाटर कहते हैं सब
खाये दिलवाले और कंजूस
अगर कचूमर निकले मेरा
तो बन जाता पीने को जूस।

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