तीन एकम तीन
तीन एकम तीन
तीन दूनी छ:
रोज-रोज नहा के,
साफ-सुथरा रह।
तीन तीए नौ,
तीन चौके बारह,
मेहनत करने वाला,
कभी नहीं हारा।
तीन पंजे पंद्रह,
तीन छेके अट्ठारह,
साफ दिल वाला,
कभी झूठ नहीं बोला।
तीन सत्ते इक्कीस,
तीन अट्ठे चौबीस,
हरदम रहना,
कक्षा में चौकस।
तीन नामे सत्ताईस,
तीन दस्से तीस,
कभी नहीं होना,
किसी से उन्नीस।
--डॉ॰ अनिल चड्डा
(दो का पहाड़ा)
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 पाठकों का कहना है :
बहुत सुंदर।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हर पद्य में बढिया सीख दी है,इस तरह से बच्चे ३ का पहाडा जल्दी सीख लेंगे .बधाई .
जाकिरजी एवं मंजूजी,
आपको मेरी रचना पसंद आई, उसका बहुत-बहुत शुक्रिया । प्रोत्साहन के लिये आभार ।
जाकिरजी एवं मंजूजी,
आपको मेरी रचना पसंद आई, उसका बहुत-बहुत शुक्रिया । प्रोत्साहन के लिये आभार ।
बढ़िया पहाडा आपका.
डा0 अनिल चढ्ढा जी! नमस्कार!
छोटे बच्चों को खेल-खेल में जितनी आसानी से सिखाया जा सकता है उतना किसी अन्य विधि से नहीं। इस दिशा में आपके द्वारा किया गया प्रयास स्तुत्य है। -डा0 डंडा लखनवी
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)