Monday, October 5, 2009

तीन एकम तीन



तीन एकम तीन
तीन दूनी छ:
रोज-रोज नहा के,
साफ-सुथरा रह।

तीन तीए नौ,
तीन चौके बारह,
मेहनत करने वाला,
कभी नहीं हारा।

तीन पंजे पंद्रह,
तीन छेके अट्ठारह,
साफ दिल वाला,
कभी झूठ नहीं बोला।

तीन सत्ते इक्कीस,
तीन अट्ठे चौबीस,
हरदम रहना,
कक्षा में चौकस।

तीन नामे सत्ताईस,
तीन दस्से तीस,
कभी नहीं होना,
किसी से उन्नीस।

--डॉ॰ अनिल चड्डा

(दो का पहाड़ा)


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6 पाठकों का कहना है :

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

बहुत सुंदर।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Manju Gupta का कहना है कि -

हर पद्य में बढिया सीख दी है,इस तरह से बच्चे ३ का पहाडा जल्दी सीख लेंगे .बधाई .

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

जाकिरजी एवं मंजूजी,

आपको मेरी रचना पसंद आई, उसका बहुत-बहुत शुक्रिया । प्रोत्साहन के लिये आभार ।

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

जाकिरजी एवं मंजूजी,

आपको मेरी रचना पसंद आई, उसका बहुत-बहुत शुक्रिया । प्रोत्साहन के लिये आभार ।

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बढ़िया पहाडा आपका.

Anonymous का कहना है कि -

डा0 अनिल चढ्ढा जी! नमस्कार!
छोटे बच्चों को खेल-खेल में जितनी आसानी से सिखाया जा सकता है उतना किसी अन्य विधि से नहीं। इस दिशा में आपके द्वारा किया गया प्रयास स्तुत्य है। -डा0 डंडा लखनवी

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