तितली
रंग बिरंगी तितली
उड़ती फिरती तितली
इस फूल से उस फूल
संग हवा के झूमती.
कितना निर्मल जीवन
कितना पावन जीवन
खुशियों की ले सौगात
महका बहका जीवन.
जीवन हर्षित करती
स्वर्ग बने यह धरती
बाग में जैसे तितली
उन्मुक्त हवा में उड़ती.
विकार रहें सब दूर
चित्त निर्मल भरपूर
दुख गम से अनजान
चेहरे पर छाये नूर.
कुलवंत सिंह
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
4 पाठकों का कहना है :
बहुत सुंदर तितली का सृजन किया है आपने। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आपकी कविता भी खूब सुंदर है. इसने मुझे बचपन में फूलों की क्यारी पर उड़ती हुई तमाम तरह की तितलियों की याद दिला दी. और जिन्हें हमेशा हाथों से पकड़ कर छूने की कोशिश रहती थी.
Bahut hi sundar rachna...
विकार रहें सब दूर
चित्त निर्मल भरपूर
दुख गम से अनजान
चेहरे पर छाये नूर.
aasaan shabdon me sundar rachna kulwant ji.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)