Thursday, September 27, 2007

खिलौने वाला

सोनू आओ मोनू आओ
रिंकी पिंकी तुम भी आओ
बंदर, भालू, हाथी लाया
देखो खिलौने वाला आया

लाया है संसार वो
खिलौने के अम्बार वो
नीला, पीला लाल- गुलाबी
गुडिया हँसती, लगते चाबी

चिड़िया कहती चूँ-चूँ-चूँ
मेंढक कहता टर- टर- टर्र
भालू गाना गाता है
हाथी नाच दिखाता है

गाँधी जी के बंदर तीन
कहते है अपना संदेश
प्यारे बच्चो, बुरा न कहना
बुरा न देखो, बुरा न सुनना
और कभी अन्याय न सहना


चतुर लोमडी बोल पडी
जीवन पथ पर चलना तुम
आगे- ही – आगे बढना
आ जाए कोई मुश्किल
चतुराई से हल करना


रचना सागर
26.09.2007


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8 पाठकों का कहना है :

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

आपने खिलौनों के द्वारा बच्चों को अच्छा संदेश दिया है। कविता के साथ दिये गये चित्र भी लाजवाब हैं। बहुत बहुत बधाई।

Anonymous का कहना है कि -

bahut maza aaya padh ker.

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत सुंदर लिखी है आपने यह रचना
बच्चों को आसानी से याद होने वाली है यह.. बधाई।

Dr. Seema Kumar का कहना है कि -

तस्वीरों और कविता से आपने बच्चों को अच्छा संदेश दिया है । बधाई :)

- सीमा कुमार

praveen pandit का कहना है कि -

इतने सुंदर-सुंदर ,अच्छे खिलौने देखकर फिरसे बच्चा बन जाने के लिये मन आतुर हो गया।
आपकी सुंदर बाल-रचना के लिये मेरी बधाई।

प्रवीण पंडित

SahityaShilpi का कहना है कि -

वाह रचना जी!
कविता और खिलौने, दोनों ही बहुत अच्छे लगे.
बधाई!

Unknown का कहना है कि -

aap ki kavita bahut achi thi.Congratulation

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

खिलौनों का नैतिकशास्त्र बतला दिया आपने। कविता के साथ जो चित्र जोड़े गये हैं वो भी विषयानुकूल हैं।

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