खिलौने वाला
सोनू आओ मोनू आओ
रिंकी पिंकी तुम भी आओ
बंदर, भालू, हाथी लाया
देखो खिलौने वाला आया
रिंकी पिंकी तुम भी आओ
बंदर, भालू, हाथी लाया
देखो खिलौने वाला आया
लाया है संसार वो
खिलौने के अम्बार वो
नीला, पीला लाल- गुलाबी
गुडिया हँसती, लगते चाबी
चिड़िया कहती चूँ-चूँ-चूँमेंढक कहता टर- टर- टर्र
भालू गाना गाता है
हाथी नाच दिखाता है
गाँधी जी के बंदर तीनकहते है अपना संदेश
प्यारे बच्चो, बुरा न कहना
बुरा न देखो, बुरा न सुनना
और कभी अन्याय न सहना
चतुर लोमडी बोल पडी
जीवन पथ पर चलना तुम
आगे- ही – आगे बढना
आ जाए कोई मुश्किल
चतुराई से हल करना
रचना सागर
26.09.2007

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8 पाठकों का कहना है :
आपने खिलौनों के द्वारा बच्चों को अच्छा संदेश दिया है। कविता के साथ दिये गये चित्र भी लाजवाब हैं। बहुत बहुत बधाई।
bahut maza aaya padh ker.
बहुत सुंदर लिखी है आपने यह रचना
बच्चों को आसानी से याद होने वाली है यह.. बधाई।
तस्वीरों और कविता से आपने बच्चों को अच्छा संदेश दिया है । बधाई :)
- सीमा कुमार
इतने सुंदर-सुंदर ,अच्छे खिलौने देखकर फिरसे बच्चा बन जाने के लिये मन आतुर हो गया।
आपकी सुंदर बाल-रचना के लिये मेरी बधाई।
प्रवीण पंडित
वाह रचना जी!
कविता और खिलौने, दोनों ही बहुत अच्छे लगे.
बधाई!
aap ki kavita bahut achi thi.Congratulation
खिलौनों का नैतिकशास्त्र बतला दिया आपने। कविता के साथ जो चित्र जोड़े गये हैं वो भी विषयानुकूल हैं।
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