मौसम बारिश का
प्यारे बच्चो,
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अथर्व चांदॉरकर
-: कक्षा :-
नवीं
-: विद्यालय :-
एस. बी. ओ. ए. पब्लिक स्कूल
-: शहर :-
औरंगाबाद, महाराष्ट्र
मौसम बारिश का
बारिश का आना मानो बचपन की यादें सताना.....
वह पहली बारिश में कूदना-फिसलना
काग़ज़ की कश्तियाँ पानी में छोड़ना
पानी और कीचड़ में लड़ना-झगड़ना
रोना, हँसना... हँसना फिर रोना........
कड़कती बिजलियों से डरकर गिरना
गिरकर संभलना व बारिश में भीगना
बीमार होना, सबकी डाँट खाना
स्कूल से छुटटी लेना वह
अंदर ही अंदर गरम रजाई का आनंद भी लेना..........
पेड़ों पे चढ़ना व हरियाली को छूना
था वही मौसम बारिश का सुहाना
यादों के सावन का रिमझिम बरसना
मीठी बूंदों में नमी का घुल जाना
बारिश का आना मानो बचपन की यादें सताना.......
- अथर्व चांदॉरकर

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16 पाठकों का कहना है :
प्रिय अथर्व, आपकी कविता देखकर अच्छा लगा। इस प्यारी सी कविता के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई।
पर भई एक सवाल बताइए कि क्या इस समय आप बच्चे नहीं हैं? कहीं आप पिछले जन्म के बचपन की बात तो नहीं कर रहे?
अरे, परेशान होने की जरूरत नहीं। मैं तो मजाक कर रहा था। वैसे मेरी समझ से तो आप अभी भी बच्चे ही हैं। आशा करता हूं कि आगे भी इसी प्रकार प्यारी-प्यारी कविताएं लिखते रहेंगे।
बाबा रे !!!:)यह बच्चा तो बहुत बड़ा हो गया है :) बहुत सुंदर लिखी है अपने कविता
आपके इस बड़े हुए बचपन का तो हमे पता नही ..पर हमे अपना बचपन जरुर याद आ गया
आपका लिखा पढ़ के ....आपकी लिखी और कविता का भी हमे इंतज़ार रहेगा
बहुत शुभकामना और प्यार के साथ
रंजना
प्रिय अथर्व,
बहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने, बचपन में बचपन की यादें? शायद अब स्कूल में पढ़ाई का बोझ ज्यादा बढ़ गया है, इस कारण तुम मस्ती नहीं कर पाते होंगे... :)
मन को भावनाओं को इसी प्रकार काग़ज़ पर उकेरते रहो, शुभकामनाएँ!!!
सस्नेह,
- गिरिराज जोशी "कविराज"
अथर्व.....
कुदना हो या लड़ना हो... या फिर भीगना स्कूल से छुटटी लेना सब मे मैं भी साथ हूँ....:-)
बस बीमार मत होना फिर मुझे क्लास मैं सताएगा कौन?
अच्छी कविता है...अभी भी तो बच्चे हो...जाओ और भीग कर आओ....:-)
बड़ी ही प्यारी-सी कविता है..शुभ आशीष....
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने इस छोटी सी उम्र में आपको भी कविताऎं लिखने का रोग लग ही गया,चलो अच्छा है,देश में कवियों की बढती संख्या में एक और महापुरुष का हार्दिक स्वागत है..............
भाई अथर्व , तुम तो इतनी छोटी उम्र में इतनी अच्छी कविता लिखते हो। आगे चलकर तुम जरूर एक बड़े कवि बनोगे।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
अर्थव ,तुमने बहुत अच्छा लिखा है। भाषा और अभिव्यक्ति दोनों ही अच्छी है । आगे भी इसी तरह लिखते रहना।
भई मज़ा आ गया,दोस्त!
इतनी अच्छी कविता।
और भी लिखना और पढवाना।
और हां,तुम्हारे साथ खेलने को भी मन कर रहा है।क्या करूं अथर्व?
प्रवीण
भाई अथर्व!
बारिश के मौसम में भीगने का मज़ा ही कुछ और होता है. पर ये अभी से सिर्फ यादों के चक्कर में कहाँ पड़ गये? अभी तो बारिश में मस्ती करो, याद करने का वक्त अभी बहुत दूर है. मैं तो अब भी बारिश में भीगने का मज़ा लेता हूँ {अभी २-३ दिन पहले ही भीगा था, बस थोड़ा सा ज़ुकाम हो गया :)}
तो मौसम के मज़े लो और ऐसे ही सुंदर कवितायें लिखते रहो!
प्रिय अर्थव..
लगता है यह कविता आपने बडों को यह बताने के लिये लिखी है कि बच्चे रहने में कितना आनंद है। सच है कि आज भी बारिश में आप की तरह बच्चा हो जाने का मन करता है।
आप बहुत अच्छा लिखते हो। आपकी उम्र में इस तरह की कविता लिखने का अर्थ है कि आप आगे चल कर स्वयं, अपने माता-पिता और देश के लिये गर्व का विषय बनोगे।
लिखना कभी मत छोडना। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ..
*** राजीव रंजन प्रसाद
सच में, बारिश का मौसम है ही इतना अच्छा । मुझे भी यह मौसम बहुत ही पसंद है और यह कविता भी बहुत पसंद आई :)
- सीमा कुमार
बहुत अच्छे बहुत सुंदर, maza आया
अथर्व!
भाई जब मैं आपकी उम्र का था तो बचपन की याद नहीं सताती थी, हाँ अब ज़रूर आती है। लगता है आजकल के बच्चे जल्दी बड़े हो रहे हैं। जो भी हो अच्छा है, लिखते रहो। हमारा आशीर्वाद तो है ही।
प्रिय अर्थव,
बहुत ही प्यारी कविता, इतनी छोटी उम्र मे इतनी आच्छी कविता। मजा आ गया।
बहुत सच्ची और सही कविता...बचपन ही है जो बड़ी सादगी से सच्चाई बयान करता है...मेरी शुभकामनाएं है आप हमेशा एसे ही सुन्दर लिखो और देश का नाम ऊँचा करो...
सुनीता(शानू)
प्रिय अथर्व,
आपकि कविता पढकर बहुत आनन्द हुआ। तुम इस तरह लिखते रहना। हमारी शुभ कामनाय़ॆ हमेशा आपके साथ रहेगी।
दीपक, रोहिणी,गार्गि,गिरिजा
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