बच्चा हूँ या बड़ा मै?
बात-बात पर मुझको कहते हैं
बच्चा हूँ मै बड़ा नही,
जब भी कोई काम पड़े,
झट बड़ा कह देते है
उल्टा काम हो जाने पर
डाँट लगा कहते है
इतना बड़ा है अकल नही
कोई मुझको ये बतलाये
बच्चा हूँ या बड़ा मै?
बच्चों की बातें सब सुनते
कहते है इसमे कुछ बुरा नही
बडो की बातें जब होती
कहते है छोटा है तू बड़ा नही
कोई मुझको ये बतलाये
बच्चा हूँ या बड़ा मै?
जब मतलब होता बडो का
कहते राजा बेटा बड़ा सयाना
जब भी सोचूँ बड़ा हो गया
डाँट मुझे ये कहते है
बच्चा हूँ मै बड़ा नही
कोई मुझको ये बतलाये
बच्चा हूँ या बड़ा मै?
अक्षय चोटिया
(ग्यारह साल का कवि)
मेरा चिट्ठा...हम होंगे कामयाब
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22 पाठकों का कहना है :
जब मै छोटा था मेरे साथ भी यही होता था, तुमने बछ्पन याद दिला दिया. जुग-जुग जियो
वाह अक्षय..
तुम्हारी कविता वाकई कमाल की है, सच बात है कि बच्चों को कोई समझता ही नहीं :)
जब मतलब होता बडो का
कहते राजा बेटा बड़ा सयाना
जब भी सोचूँ बड़ा हो गया
डाँट मुझे ये कहते है
बच्चा हूँ मै बड़ा नही
कोई मुझको ये बतलाये
बच्चा हूँ या बड़ा मै?
सुबह सुबह ठहाका लगा कर हँसने पर मजबूर कर दिया तुमने। मासूम सवाल हैं और देखना सारे बडे बिना उत्तर दिये केवल मुस्कुरायेंगे।
जीवन में उत्तरोत्तर तरक्की करो इस सुभाशीष के साथ।
*** राजीव रंजन प्रसाद
:) बहुत ख़ूब अक्षय बहुत प्यारे ढंग से तुमने अपने दिल की बात कह दी है
बहुत मज़ा आया इस को पढ़ के:)..शुभकामना और प्यार !!
अक्षय
तुम्हारी कविता कमाल की है, जिस तरीके से तुमने अपनी बात रखी मजा आ गया।
चित्रकारी भी बहुत आच्छी है
तुम्हारे मासूम सवाल सोचने और मुस्कुराने पेर मजबूर कर देते है।
जीवन में तरक्की करो इस सुभाशीष के साथ।
प्रिय अक्षय,
बाल मन का सजीव चित्रण है तुम्हारी कविता में, वास्तविकता साफ साफ परिलक्षित हो रही है..
मेरी शुभकामनायें जीवन में हर कदम सफलता के श्रंग के लिये
अक्षय अब मै आपको बड़ा ही समझूँगी मालूम नही था हम इतने मतलबी हो गये है...बहुत अच्छा लिखा है आपने...थैंक्स मम्मी को याद दिलाने के लिये...:)
सुनीता(शानू)
वाह अक्षय!
आप ने बहुत ही सुंदर तरीके से अपनी बात रखी है. और देखा असर, आज ही आपकी मम्मी ने आपको बड़ा मान लिया.
बहुत बहुत बधाई- कविता के लिये भी और बड़ा होने के लिये भी!!!!!!
वाह!
अक्षय तुम तो कमाल ही कर रहे हों, अपने मनो-भावों को बहुत ही खूबसूरत तरीके से तुमने काव्य में पियोया है, बधाई!!!
जब मतलब होता बडो का
कहते राजा बेटा बड़ा सयाना
जब भी सोचूँ बड़ा हो गया
डाँट मुझे ये कहते है
बच्चा हूँ मै बड़ा नही
कोई मुझको ये बतलाये
बच्चा हूँ या बड़ा मै?
बाल-अदालत : अक्षय की याचिका पर गौर करने के पश्चात बाल-अदालत इस नतिजे पर पहूँची है कि सुनिताजी एवं पवनजी दोषी हैं, अदालत इन दोनों को विशेष हिदायत दी जाती है कि भविष्य में इस प्रकार की शिकायत मिलने पर कठोर कार्यवाही की जायेगी। :)
सही है पूत के पाव पालने से बाहर आते दिखाई दे रहे है..डरना मत पंगे लेते रहो मै हूना..:)
भई अक्षय आपने तो कई मायनों में बडो को भी फेल कर दिया
राजेश रोशन
अक्षय बहुत प्यारी कविता है -जब छोटी थी तो माँ से ये ही शिकायत करती थी । वक्त के साथ भूल गयी थी कि कितना बुरा लगता है ना -जब चाहा बडा बना दिया जब चाहा छोटा । अब ये शिकायत मेरी बिटिया भी करती है ।
कोशिश करुंगी कि फिर से किसी को बुरा ना लगे । तुम से उम्मीदें बहुत है इसी तरह अपनी प्यारी् -प्यारी कवितायें आगे भी पढाना ।
Waah! bahut kamaal ki kavita hai tumhari. Badhaai ho Badhaai. Hamesha Aage badhte raho, My wish.
Ashok Maheshwari.
Nice work ..Keep it up.
बच्चों की बातें सब सुनते
कहते है इसमे कुछ बुरा नही
बडो की बातें जब होती
कहते है छोटा है तू बड़ा नही
बहुत खूब अक्षय। बच्चों के साथ यही होता है।कोई बात नहीं जल्दी हीं तुम बड़े हो जाओगे , तब तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा।
हा हा हा आप सब चक्कर में आ गये और मम्मी को भी गिरीराज भैया की अदालत में आना पड़ा।
वसे मैने सच बोला था :(
Wah beta bahut sundar, ye sab bate bade hokar hi samaj paoge.
अक्षय तुम उन सामान्य से लगने वाले विषय पर भी सोंच कर बेहतर अभिव्यक्ति प्रस्तुत करते हो, हमें भी भान नहीं था कि बाल मन में ऐसे प्रश्न भी उठते होंगें, आपने अपने जैसे सभी बच्चों के लिए एक अच्छा काम किया है ।
हमारी आंखें खोल दी है भविष्य में हम भी अनिमेष के लिए उत्तर तैयार रखेंगे ।
धन्यवाद एवं हमारा आर्शिवाद, बढते चलो गीत पथ पर तुम विजय की ओर ................
संजीव
आपकी कविता बाल-मन की सटीक अभिव्यक्ति है। पेंटिंग भी प्यारी है। मैं चाहता हूँ कि आप बाल-कहानी या बाल-नाटक लिखें। कोशिश कीजिएगा।
अक्षय बेटा ये कैसा सवाल पूछ लिया, बिल्कुल निरुत्तर कर दिया, हाँ गिरी जी दोषी तो आपने ठहरा दिया, जब आपकी बारी आएगी तो पूछेंगे
प्रिय अक्षय, इस सुन्दर सी कविता के लिए बहुत बहुत बधाई। मैं तुम्हारी रचनाएं पढता रहता हूं। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।
बहुत अच्छी कविता भी और चित्र भी । मैं भी बचपन में ऐसे बहुत सवाल करती थी :) ।
शुभकामनाएँ ।
- सीमा कुमार
अक्षय बेटा
बचपन में हमारे साथ भी यही होता था... समय के साथ हम छोटे बडे बना दिये जाते थी... सुन्दर सत्य भाव भरी रचना.
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