जादु की छडी
गुड़िया रानी जब सो गई
मीठे सपनों में खो गई
देखा उसने सपना सुन्दर
खुश हो गई अन्दर ही अन्दर
सपने में जा पहुंची छत पर
देखा चमक रहा था अम्बर
बरस रहे थे फ़ूल धरा पर
खेल रहे तारे हँस हँस कर
देखी उडन तशतरी एक
भरे थे जिसमे रंग अनेक
आके रुकी गुडिया के पास
भरे खिलौने उसमे खास
सुन्दर एक परी भी आई
गुडिया की आंखें भरमाई
परी ने उसको पास बुलाया
अपनी गोदि में बैठाया
उडन तशतरी में बैठाकर
गुडिया को आकाश घुमाकर
दिए खिलौने रंग-रंगीले
सुन्दर सुन्दर और चमकीले
टिम टिम करते दिए सितारे
चमक रहे सारे के सारे
परी ने अपनी छडी घुमाई
सारी दुनिया उसे दिखाई
चन्दा मामा से मिलवाया
परी लोक में भी घुमाया
सुन्दर सुन्दर पंखों वाली
उडती परियां प्यारी-प्यारी
देख के इतना अजब नजारा
गुडिया ने भी मन में विचारा
क्यों न वह भी परी बन जाए
परी लोक में ही रह जाए
पर गुडिया के मन की बात
समझी परी उसके जजबात
प्यार से गुडिया को समझाया
परी लोक का राज बताया
देखों! हम परियां हैं नभ की
इच्छाएं भी हैं हम सबकी
हम भी स्कूल में जाना चाहें
तेरी तरह ही पढना चाहें
हम भी चाहें मां का प्यार
पापा से सुन्दर उपहार
मस्ती हम भी करें सब मिलकर
हंसें खूब हम भी खिल खिलकर
तुम धरती की सुन्दर बाला
तुम भी कर सकती हो उजाला
पढ लिखकर तुम बनो महान
धरा को परी लोक ही जान
अब तुम धरा लोक में जाओ
मेहनत से सब कुछ पा जाओ
बुद्धि ही जादु की छडी है
जिसके बल पर दुनिया खडी है
जो तुम बुद्धि से लो काम
होगा तेरा ऊंचा नाम
बात गुडिया की समझ में आई
परी लोक से ली विदाई
हंस रही गुडिया मन ही मन
पास मेँ है बुद्धि का धन
इतने में माँ ने आ बुलाया
गुडिया को निद्रा से जगाया
माँ को उसने सपना सुनाया
परी लोक का राज बताया
माँ ने प्यार से गले लगाया
नन्ही परी गुडिया को बताया
------------------------------
------------------------------
बच्चो तुमने जाना राज
बुद्धि से होते सब काज
बुद्धि ही जादु की छडी है
बुद्धि ही हर धन से बडी है
*******************************
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 पाठकों का कहना है :
बहुत सुंदर! लगता है मैं भी परी-लोक की सैर कर आई इतनी देर में कविता पढने के साथ. कल्पना का संसार कितना सुंदर होता है, है न?
सीमाजी!
इस रचना में प्रवाह है. रस, भाव, बिम्ब, शैली की दृष्टि से भी अच्छी है. बड़ों को रचेगी पर बच्चों के लिए कुछ अधिक लम्बी नहीं है क्या?हो सकता है मैं गलत हूँ...पर मुझे ऐसा लगा.
kavita ka uddeshya spast hai ,kavita achchi hai par thodi .......si lambi jaroor hai .
काल्पनिक लोक में घुमा दिया सीमा जी ने ,,,
बच्ची के अरमान भी अपने जैसे लगे,,,
सुंदर चित्रों से सजी एक प्यारी रचना
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद । शायद इंसान स्वयं ही खुद के लिए बडा समीक्षक होता है । यह कहानी मुझे भी लम्बी लगी थी ।इसे पहले मैने गद्य में लिखा फ़िर अपनी शैली में (पद्य में ) शायद यह सबकी अपनी अपनी शैली है और अपने बारे में यही जानती हूं कि जितना सहज मुझे पद्य में लगता है उतना गद्य में नहीं । फ़िर भी यह गद्यात्मक कहानी भी पोस्ट कर रही हूं । कौन सा तरीका अच्छा है , उसके निर्याण्क आप लोग हैं और आपके अमूल्य सुझावों का इन्तजार रहेगा ।
aapki rachana padh kar bahut acha laga .easi rastra bhakti per bhi likhiye.
spko bhsratiy saskriti ke liye
shiksha & vidya me phark batana hai.
bhot bahot dhanyawad.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)