Tuesday, August 25, 2009

अंधेरा दूर भगाओ

चंदा के घर इतने तारे,
एक भी नहीं पास हमारे,
क्या करने हैं इतने तारे,
हमको चंदा ये तो बता रे।

बने हो तुम तारों के राजा,
सब कहते हैं आजा-आजा,
होड़ सभी तारों में लगी है,
हम को भी अपना सखा बना रे।

कहाँ से चाँदनी इतनी लाये,
शीतल सबके मन को भाये,
अंधेरे का डर दूर भगाये,
अंधेरों में हो सबके सखा रे।

खेलो सूरज संग आँख-मिचौली,
तुम छिप जाओ, जब वो आये,
तुम आओ तो वो छिप जाये,
हम को भी ऐसा खेल खिला रे।

चंदा बोला, सुनो रे बच्चो,
ग़र मेरे पास चमकते तारे,
तुम भी अपने देश के तारे,
इन तारों से तुम हो न्यारे।

चमक मेरी सूरज ने दी है,
मैंने फिर वो जग को दी है,
तुम चमको गे अपनी लगन से,
प्रभु ने तुमको वो शक्ति दी है।

तुम भी मुझ जैसे बन जाओ,
जग से अँधेरा दूर भगाओ,
दूजों से तुम ज्ञान को ले कर,
सारे जग में उसे फैलाओ।

--डॉ॰ अनिल चड्डा


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8 पाठकों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

Behad pyara geet..
bar bar gungunane ka man karata hai..

badhayi..anil ji..

Pooja Anil का कहना है कि -

चमक मेरी सूरज ने दी है,
मैंने फिर वो जग को दी है,
तुम चमकोगे अपनी लगन से,
प्रभु ने तुमको वो शक्ति दी है।

बहुत ही प्यारी और शक्ति का संचालन करती कविता है. आत्म विश्वास से कोई भी सूरज, तारों और चंदा की तरह चमक सकता है.

अनिल जी,
आपकी कवितायेँ हमेशा नई राह दिखाती हैं. धन्यवाद.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

वच्चों के लिए सुंदर रचना.
लेकिन यह lottery numbers किसने लिख दिए, और क्यों????? बच्चे तो lottery नहीं खेलते ना? फिर इनका मतलब क्या है??????

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

आप सब को रचना भाई, जान कर मन हर्षित हुआ । प्रोत्साहन के लिये आभारी हूँ ।

neelam का कहना है कि -

शन्नो जी ,
अनाम जी बाल उद्यान
पर गिनतियाँ सीख रहे हैं ,अगली 49 के बाद की गिनती अगली रचना में लिखेंगे,लिखेंगे न आप वैसे आप तो बड़े हैं ये सब आपको
शोभा नहीं देता बाकी आपकी मर्जी |
रचना अच्छी है ,प्रभावी है |

Shamikh Faraz का कहना है कि -

चड्डा जी मैं तो पहली पंक्ति देख कर ही समझ गया था की यह आपकी ही कविता है.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

bahut sundar

तुम भी मुझ जैसे बन जाओ,
जग से अँधेरा दूर भगाओ,
दूजों से तुम ज्ञान को ले कर,
सारे जग में उसे फैलाओ।

Manju Gupta का कहना है कि -

भावपूर्ण रचना का संदेश सार्थक है बधाई .

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