Saturday, August 1, 2009

रैबिट प्यारे होते हैं

जब वो घर नहीं जाते हैं,
उनकी मम्मी रोने लगती हैं।

जब वो खाना नहीं खाते हैं,
उनकी मम्मी रोने लगती हैं।

जब वो खाना खा लेते हैं
उनकी मम्मी हँसने लगती है।

जब वो घर चले जाते हैं,
उनकी मम्मी पूरे दिन तक हँसने लगती हैं।

रैबिट (खरगोश) प्यारे होते हैं

मन मिश्रा (आयु- 4॰5 वर्ष)
उपनाम (शैतान महादेवी वर्मा)


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7 पाठकों का कहना है :

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बहुत सुन्दर बाल रचना है।बधाई।

रावेंद्रकुमार रवि का कहना है कि -

सुंदर मन!

Disha का कहना है कि -

भोले मन की भोली भावनायें
क्यों न हम सबको रिझायें
नन्हीं कलम से बिखरे शब्द
आसमान की ऊचाईयों तक जायें
बहुत सुन्दर प्रयास

Manju Gupta का कहना है कि -

मन जी की कविता के मन के भाव अच्छे लगे .नन्ही मन भावी कवयित्री लग रही है .
बहुत-बहुत , प्यारी -प्यारी शुभ कामना .

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

दिल भी सुंदर,
मन भी सुंदर
जो कह दे
वो सब कुछ सुंदर..

manu का कहना है कि -

vinod ji ke comment se poori tarah sahmat...

manju ji se kaafi had tak asahmat...

mujhe to jaane kyon...
kaviyatree ke bajaay
KAVI lag rahe hain..........

:::)))
hai ki naheen...?

Shamikh Faraz का कहना है कि -

जब वो घर नहीं जाते हैं,
उनकी मम्मी रोने लगती हैं।

जब वो खाना नहीं खाते हैं,
उनकी मम्मी रोने लगती हैं।

जब वो खाना खा लेते हैं
उनकी मम्मी हँसने लगती है।

जब वो घर चले जाते हैं,
उनकी मम्मी पूरे दिन तक हँसने लगती हैं।

वाकई रैबिट प्यारे होते हैं

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