Thursday, August 27, 2009

ये कम्पयूटर क्या होता है?

ये कम्पयूटर क्या होता है?
क्या टर्र-टर्र करता रहता है?
‘माऊस’ के संग रह कर के,
क्या यूँ ही डरता रहता है ?

ब्रेन है इसका सी पी यू,
पर चलता बिजली से है क्यूँ?
मानीटर इसकी आँख मगर,
बस आँख एक है रखता क्यूँ ?

कुछ काम अगर करना हो तो,
तुम साफ्टवेयर को लोड करो,
चल न पाये साफ्टवेयर,
तो और कोई गठजोड़ करो।

खुद बात नहीं कर सकता है,
गिट-पिट करे की-बोर्ड से है,
साफ्टवेयर ग़र डल जाये,
तो बोले बडे ये रौब से है।

घर बैठे बड़े मजे से ये,
करता काम हमारे है,
की-बोर्ड हो या माऊस हो,
समझता सभी इशारे है।

इंटरनेट के जरिये अब,
सारी तुम घूमो दुनिया,
खेल भी खेलो, पिक्चर, टी वी,
हर चीज का अब है ये जरिया।

जिसने इसे इजाद किया,
हम सब पर है एहसान किया,
तुम सीखो सब कुछ घर बैठे,
खूब है उसने काम किया।

--डॉ॰ अनिल चड्डा


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

3 पाठकों का कहना है :

Manju Gupta का कहना है कि -

अनमोल कविता के लिए बधाई .कम्प्यूटर पर मेरी कविता -
खूब बडा डिब्बा हूं.
हर जुंबा का किस्सा हूं .
दुनियाका हिस्सा हूं .
करता मैं कमाल हूं .

Shamikh Faraz का कहना है कि -

चड्डा जी आप ने बल उद्यान पर अपना एक अलग मुकाम बना लिया है. बधाई.

ये कम्पयूटर क्या होता है?
क्या टर्र-टर्र करता रहता है?
‘माऊस’ के संग रह कर के,
क्या यूँ ही डरता रहता है ?

क्या खूब लिखा है.

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

मंजूजी एवं फराज़जी,

आपको रचना पसन्द आई, जान कर हर्ष हुआ । प्रोत्साहन के लिये आभारी हूँ ।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)