सीखो
सीखो
सुबह सवेरे उठना सीखो,
रवि से पहले जगना सीखो .
कसरत थोड़ी करना सीखो,
तन को सुडौल रखना सीखो .
प्रेम सभी से करना सीखो,
मीठी वाणी कहना सीखो .
दीन दुखी पर करुणा सीखो,
सत्य न्याय पर मरना सीखो .
दूर अहम से रहना सीखो,
नेह सभी से रखना सीखो .
समय बड़ा अमूल्य है सीखो,
करना इसकी कद्र है सीखो .
ज्ञान जगत में बिखरा सीखो,
प्रकृति नियम पर चलना सीखो .
सादा जीवन जीना सीखो,
रखना उच्च विचार सीखो .
नव विज्ञान ढ़ेर सा सीखो,
बनना है महान यह सीखो .
तन बुद्धि शुद्ध रखना सीखो,
खान पान में संयम सीखो .
मान बड़ों को देना सीखो,
आशीष उनसे लेना सीखो .
जीवन है वरदान सीखो,
जीवन हस हस जीना सीखो .
कवि कुलवंत सिंह

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6 पाठकों का कहना है :
कुलवंत जी,
जीवन में जितनी अमूल्य सीखें हैं इंसान को अच्छा बनाने के लिए वह सब आपने इस कविता में कह दी हैं. वधाई! आपका हर प्रयास सुंदर और सीख से भरपूर होता है. हर बच्चा यदि इन पर अमल करे तो यह समाज कितना सुखमय हो जाये.
संस्कारों को बनाने वाली बाल कविता है .बडो के भी काम आएगी जो अमल करेगा .उसी का जीवन सुंदरबनेगा .बल्ले -बल्ले .बधाई
बहुत ही सुन्दर रचना है.बच्चे हो या बड़े सभी को कविता के बहाने अच्छी सीख है
बहुत सुंदर शिक्षाप्रद कविता है.
मान बड़ों को देना सीखो,
आशीष उनसे लेना सीखो
बहुत सुंदर धन्यवाद इस संस्कारित कविता के लिए
सादर
अमिता
बाल-मन आसानी से पढ़-सुन समझ सके ऐसी उपदेशात्मक रचना ,बधाई
श्याम स्खा श्याम
बहुत अच्छी सीख दी बच्चो को
मान बड़ों को देना सीखो,
आशीष उनसे लेना सीखो .
जीवन है वरदान सीखो,
जीवन हस हस जीना सीखो
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