लोरी
लोरी जब भी गाती माँ,
मीठी नींद सुलाती माँ .
कथा कहानी गाती माँ,
प्यारे गीत सुनाती माँ .
माथा जब सहलाती माँ,
डर को दूर भगाती माँ .
गोदी में बहलाती माँ,
स्वर्ग धरा दिखलाती माँ .
थपकियां दे सुलाती माँ,
निंदिया पास बुलाती माँ .
नींद न मुझको आती माँ,
अपने गले लगाती माँ .
प्यार तेरा अनूठा माँ,
नींद में ख्वाब सजाती माँ .
जब भी तुझको देखूँ माँ,
सबसे सुंदर लगती माँ .
कवि कुलवंत सिंह
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6 पाठकों का कहना है :
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति…. बधाई ।
सटीक ,सुंदर लोरी है .बधाई
कुलवंत जी बढ़िया लोरी. बधाई.
लोरी जब भी गाती माँ,
मीठी नींद सुलाती माँ .
कथा कहानी गाती माँ,
प्यारे गीत सुनाती माँ .
माथा जब सहलाती माँ,
डर को दूर भगाती माँ .
गोदी में बहलाती माँ,
स्वर्ग धरा दिखलाती माँ .
थपकियां दे सुलाती माँ,
निंदिया पास बुलाती माँ .
नींद न मुझको आती माँ,
अपने गले लगाती माँ .
प्यार तेरा अनूठा माँ,
नींद में ख्वाब सजाती माँ .
जब भी तुझको देखूँ माँ,
सबसे सुंदर लगती माँ .
कुलवंत जी ,
आपकी कविता सरल होती है ,बच्चों को आसानी से समझ में आती है ,एक बच्ची हमारे पास आई थी और अपने स्कूल के लिए उसने जीना सीखो कविता चुनी थी ,उसका काव्य पाठ स्वाधीनता समारोह में भी किया था |अब और क्या लिखें ?
sundar rachna ai. maa hoti hi aisi hai uska koi jod nahi hai.
simta hai jiske aanchal mein yah sansaar
dil mein hai jiske sirph pyaar
aur kaun ho sakati hai vo
maa hi to hai tadapti hai jo
khud dukh sahti hai
phir bhi hamein jindagi deti hai
kitani pyaari kitani bholi
pyaar aur mamtv se bhar de jholi
tyaag ki yah moorti
amit hai iski chhavi
tulana hai bekaar
anginat maa ke upkaar
कवि कुलवंत जी,
बहुत प्यारी लोरी और साथ ही साथ माँ की महिमा भी कह दी, बहुत सुन्दर कविता. बधाई.
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