Friday, July 31, 2009

भाई

कितना नटखट मेरा भाई,
खूब शैतानी करता भाई .
उसकी मस्ती से सब डरते
पर डांट कभी न उसने खाई .

मुझसे लेकिन वह है डरता,
मेरी सब बातें वह सुनता .
चोरी उसकी जब मैं पकड़ूं
वह कान भी अपने पकड़ता .

पढ़ने में वह अव्वल रहता,
गलत नही वह कुछ भी सहता .
खेलकूद में सबसे आगे,
पर मुझसे वह जीत न सकता .

दीवाली हो यां फिर होली,
करता है वह खूब ठिठोली .
लड़ता चाहे कितना मुझसे,
मीठी बड़ी है उसकी बोली .

दुनिया में है सबसे न्यारा,
भाई बहन का रिश्ता प्यारा .
रक्षा बंधन हो यां दूज,
प्यार की बहती पावन धारा .

कवि कुलवंत सिंह


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7 पाठकों का कहना है :

Manju Gupta का कहना है कि -

'भाई 'बाल कविता ने मुझे अपने भाई याद करा दिए .सुंदर नई कल्पना को बधाई .
कुलवंत भाई बल्ले -बल्ले. राखी लेकर आ रही हूँ .

Shamikh Faraz का कहना है कि -

राखी के अवसर पर एक सुन्दर कविता. बधाई.

दुनिया में है सबसे न्यारा,
भाई बहन का रिश्ता प्यारा .
रक्षा बंधन हो यां दूज,
प्यार की बहती पावन धारा

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बहुत सुन्दर बाल रचना है।बधाई।

Disha का कहना है कि -

रक्षा बंधन के अवसर पर सुन्दर बाल रचना.
सभी को रक्षा बंधन की बधाई.

Anonymous का कहना है कि -

kulwant likhna to sikh lo. jo mu me aaya bak dia. ye kaivta hai. kiu apne aap ko badnam kar rahe ho.

राजीव तनेजा का कहना है कि -

रक्षाबन्धन के अवसर के अनुकूल सुन्दर रचना के लिए कुलवंत सिंह जी को बहुत-बहुत बधाई

Kavi Kulwant का कहना है कि -

आप सभी शुभचिंतकों को हार्दिक धन्यवाद...

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