भाई
कितना नटखट मेरा भाई,
खूब शैतानी करता भाई .
उसकी मस्ती से सब डरते
पर डांट कभी न उसने खाई .
मुझसे लेकिन वह है डरता,
मेरी सब बातें वह सुनता .
चोरी उसकी जब मैं पकड़ूं
वह कान भी अपने पकड़ता .
पढ़ने में वह अव्वल रहता,
गलत नही वह कुछ भी सहता .
खेलकूद में सबसे आगे,
पर मुझसे वह जीत न सकता .
दीवाली हो यां फिर होली,
करता है वह खूब ठिठोली .
लड़ता चाहे कितना मुझसे,
मीठी बड़ी है उसकी बोली .
दुनिया में है सबसे न्यारा,
भाई बहन का रिश्ता प्यारा .
रक्षा बंधन हो यां दूज,
प्यार की बहती पावन धारा .
कवि कुलवंत सिंह
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7 पाठकों का कहना है :
'भाई 'बाल कविता ने मुझे अपने भाई याद करा दिए .सुंदर नई कल्पना को बधाई .
कुलवंत भाई बल्ले -बल्ले. राखी लेकर आ रही हूँ .
राखी के अवसर पर एक सुन्दर कविता. बधाई.
दुनिया में है सबसे न्यारा,
भाई बहन का रिश्ता प्यारा .
रक्षा बंधन हो यां दूज,
प्यार की बहती पावन धारा
बहुत सुन्दर बाल रचना है।बधाई।
रक्षा बंधन के अवसर पर सुन्दर बाल रचना.
सभी को रक्षा बंधन की बधाई.
kulwant likhna to sikh lo. jo mu me aaya bak dia. ye kaivta hai. kiu apne aap ko badnam kar rahe ho.
रक्षाबन्धन के अवसर के अनुकूल सुन्दर रचना के लिए कुलवंत सिंह जी को बहुत-बहुत बधाई
आप सभी शुभचिंतकों को हार्दिक धन्यवाद...
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