आम
सभी फलों का बाप
आम खाओ आप .
कैसे कैसे नाम
सबको कहते आम .
आपुस, मलीहाबाद
लंगड़ा जिंदाबाद .
केशर, दसहरी खास
सबको आते रास .
मिठास से भरपूर
गूदे रस से चूर .
आम भले हो एक
गुण इसके अनेक .
अमिया बने अचार
पियो बना के सार .
दाल में कच्चा डाल
अमचूर पूरा साल .
गर्मी से बेहाल
’पना’ करे निहाल .
फलों का राज आम
खाओ, न देखो दाम .
कवि कुलवंत सिंह
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12 पाठकों का कहना है :
बहुत ही सुन्दर है आम महिमा
जय आम..
पढ़ कर आया स्वाद
आपकी रचना लाजवाब
कविता आम हो गयी .वाह!!!!!!
गर्मी से बेहाल
’पना’ करे निहाल .
फलों का राज आम
खाओ, न देखो दाम .
आसान से शब्दों में सुन्दर सी कविता
aam kavita
कैसे कैसे नाम
सबको कहते आम
kulwant ji ,bhai waah .
Mujhe to am bahut priya hain.
'Mouth watering'poem.
Thanks for sharing.
कवि कुलवंत सिंह जी आपको इतनी अच्छी कविता के लिए बधाई!
आम मगर आम न रहा,खासमखास हो गया है!
आम आदमी आम के दाम से उदास हो गया है!
देवेन्द्र सिंह चौहान, लखनऊ!
thanks dear friends...
कुलवंत जी,
रचना पढ़ते-पढ़ते यूँ लगा जैसे आम का स्वाद मुँह में आ गया हो । लाजवाब ।
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