Friday, July 10, 2009

आम

सभी फलों का बाप
आम खाओ आप .

कैसे कैसे नाम
सबको कहते आम .

आपुस, मलीहाबाद
लंगड़ा जिंदाबाद .

केशर, दसहरी खास
सबको आते रास .

मिठास से भरपूर
गूदे रस से चूर .

आम भले हो एक
गुण इसके अनेक .

अमिया बने अचार
पियो बना के सार .

दाल में कच्चा डाल
अमचूर पूरा साल .

गर्मी से बेहाल
’पना’ करे निहाल .

फलों का राज आम
खाओ, न देखो दाम .

कवि कुलवंत सिंह


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12 पाठकों का कहना है :

ओम आर्य का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर है आम महिमा

रंजन का कहना है कि -

जय आम..

Disha का कहना है कि -

पढ़ कर आया स्वाद
आपकी रचना लाजवाब

Manju Gupta का कहना है कि -

कविता आम हो गयी .वाह!!!!!!

Shamikh Faraz का कहना है कि -

गर्मी से बेहाल
’पना’ करे निहाल .

फलों का राज आम
खाओ, न देखो दाम .

आसान से शब्दों में सुन्दर सी कविता

manu का कहना है कि -

aam kavita

neelam का कहना है कि -

कैसे कैसे नाम
सबको कहते आम

kulwant ji ,bhai waah .

Akshitaa (Pakhi) का कहना है कि -

Mujhe to am bahut priya hain.

surjit singh का कहना है कि -

'Mouth watering'poem.
Thanks for sharing.

dschauhan का कहना है कि -

कवि कुलवंत सिंह जी आपको इतनी अच्छी कविता के लिए बधाई!
आम मगर आम न रहा,खासमखास हो गया है!
आम आदमी आम के दाम से उदास हो गया है!
देवेन्द्र सिंह चौहान, लखनऊ!

Kavi Kulwant का कहना है कि -

thanks dear friends...

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

कुलवंत जी,

रचना पढ़ते-पढ़ते यूँ लगा जैसे आम का स्वाद मुँह में आ गया हो । लाजवाब ।

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