बहना
बहना
मेरी बहना का क्या कहना
चपल सलोनी हर पल हसना .
लड़ना भिड़ना और झगड़ना
लेकिन फिर मिल जुल कर रहना .
बुलबुल सी दिन रात फुदकना
नही किसी से कभी भी डरना .
सीढ़ी ले छज्जे पर चढ़ना
उसके बिन सूना है अंगना .
धमा चौकड़ी खूब मचाती
मेरी पुस्तक वह छिपाती .
खिलौने लेकर भाग जाती
पर पापा से डांट न पाती .
सुबह देर तक सोती रहती
लेकिन मम्मी भी चुप रहती .
टिकिया चाट मजे से खाती
मेरी प्लेट भी गप कर जाती .
वैसे तो मुझसे वह लड़ती
हर चीज अपनी वह समझती .
कोई जरूरत जब आ पड़ती
बड़े प्यार से भैया कहती .
मेरी बहना का क्या कहना
शोख है चंचल घर का गहना .
ईश्वर मेरी बात तूं सुनना
सबको ऐसी बहना देना .
कवि कुलवंत सिंह
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5 पाठकों का कहना है :
बहुत ही सुन्दर रचना है.
मेरी बहना का क्या कहना
शोख है चंचल घर का गहना .
ईश्वर मेरी बात तूं सुनना
सबको ऐसी बहना देना .
आपकी कविता को देखकर मुझे एक गीत याद आ गया.
फूलों का तारों का सबका यही कहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
सारी उम्र हमें संग रहना.
बहुत सुंदर रचना .. राखी का त्यौहार आनेवाला है .. ऐसे समय में यह पोस्ट सामयिक भी रही ।
बहुत ही प्यारी बहिना है और कविता भी प्यारी है
आपने तो रक्षा बंधन याद करा दिया .बधाई .
A wonderful tribute to girl child.
..'मेरी बहना का क्या कहना
शोख है चंचल घर का गहना .
ईश्वर मेरी बात तूं सुनना
सबको ऐसी बहना देना ...'
Thanks for sharing.
My best wishes.
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