Friday, July 24, 2009

बहना

बहना

मेरी बहना का क्या कहना
चपल सलोनी हर पल हसना .
लड़ना भिड़ना और झगड़ना
लेकिन फिर मिल जुल कर रहना .

बुलबुल सी दिन रात फुदकना
नही किसी से कभी भी डरना .
सीढ़ी ले छज्जे पर चढ़ना
उसके बिन सूना है अंगना .

धमा चौकड़ी खूब मचाती
मेरी पुस्तक वह छिपाती .
खिलौने लेकर भाग जाती
पर पापा से डांट न पाती .

सुबह देर तक सोती रहती
लेकिन मम्मी भी चुप रहती .
टिकिया चाट मजे से खाती
मेरी प्लेट भी गप कर जाती .

वैसे तो मुझसे वह लड़ती
हर चीज अपनी वह समझती .
कोई जरूरत जब आ पड़ती
बड़े प्यार से भैया कहती .

मेरी बहना का क्या कहना
शोख है चंचल घर का गहना .
ईश्वर मेरी बात तूं सुनना
सबको ऐसी बहना देना .

कवि कुलवंत सिंह


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5 पाठकों का कहना है :

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर रचना है.

मेरी बहना का क्या कहना
शोख है चंचल घर का गहना .
ईश्वर मेरी बात तूं सुनना
सबको ऐसी बहना देना .

आपकी कविता को देखकर मुझे एक गीत याद आ गया.

फूलों का तारों का सबका यही कहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
सारी उम्र हमें संग रहना.

संगीता पुरी का कहना है कि -

बहुत सुंदर रचना .. राखी का त्‍यौहार आनेवाला है .. ऐसे समय में यह पोस्‍ट सामयिक भी रही ।

Disha का कहना है कि -

बहुत ही प्यारी बहिना है और कविता भी प्यारी है

Manju Gupta का कहना है कि -

आपने तो रक्षा बंधन याद करा दिया .बधाई .

surjit singh का कहना है कि -

A wonderful tribute to girl child.
..'मेरी बहना का क्या कहना
शोख है चंचल घर का गहना .
ईश्वर मेरी बात तूं सुनना
सबको ऐसी बहना देना ...'
Thanks for sharing.
My best wishes.

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