Tuesday, July 7, 2009

पारुल

रुन-झुन करती आयी पारुल।
सब बच्चों को भायी पारुल।
बादल गरजे, तनिक न सहमी।
बरखा लख मुस्कायी पारुल।
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल।
गिरी-उठी, पानी में भीगी।
सखियों सहित नहायी पारुल।
मैया ने जब डाँट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल।
छप-छप खेले, ता-ता थैया।
मेंढक के संग धायी पारुल।
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी।
भिगा-भीग मस्तायी पारुल।

-संजीव 'सलिल'


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

10 पाठकों का कहना है :

ओम आर्य का कहना है कि -

क्या पारुल मन को आपने मोह लिया ......मै भी बच्चा जैसा ही अनुभव कर रहाहुँ.

Disha का कहना है कि -

बहुत खूब है तुम्हरी पारुल
सबके मन को भायी पारुल
धन्यवाद

Shamikh Faraz का कहना है कि -

रुन-झुन करती आयी पारुल।
सब बच्चों को भायी पारुल।
बादल गरजे, तनिक न सहमी।
बरखा लख मुस्कायी पारुल।
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल।
गिरी-उठी, पानी में भीगी।
सखियों सहित नहायी पारुल।
मैया ने जब डाँट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल।
छप-छप खेले, ता-ता थैया।
मेंढक के संग धायी पारुल।
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी।
भिगा-भीग मस्तायी पारुल।


ग़ज़ल की form में एक अच्छी कविता

rachana का कहना है कि -

क्या बात है पारुल की
बहुत खूब
सादर
रचना

manu का कहना है कि -

LOVLY PARUL...

Admin का कहना है कि -

पारुल बड़ी प्यारी है

Divya Narmada का कहना है कि -

पारुल जिनके मन रूचि,
उन सबका आभार.
पारुल की मुस्कान हर,
ले आती त्यौहार.

Vinaykant Joshi का कहना है कि -

माननीय,
एक मासूम कविता | एसी कविताये ही अमर बनती है क्योंकि इन्हें कागज कलम की दरकार नहीं होती | सहज प्रवाही मुख सुखकारी |
सादर

Manju Gupta का कहना है कि -

पारुल की तरह मैं भी हर्षित हो गयी

dschauhan का कहना है कि -

बारिश में खूब नहाये पारुल के संग!
सभी बहुत हर्षाये पारुल के संग!!
संजीव जी बहुत अच्छी और मासूम सी कविता के लिए बधाई!
देवेन्द्र सिंह चौहान

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)