बन्दर और गिलहरी
बन्दर और गिलहरी
एक पेड़ पर एक बन्दर रहता था |उसी पेड़ पर एक गिलहरी रहती थी |बन्दर चालाक था |गिलहरी भोली भाली थी| एक दिन गिलहरी एक अमरुद ले आई |बन्दर ने अमरुद छीन लिया |गिलहरी बहुत रोई |बन्दर उसे रोते देखकर
भी अमरुद खाता रहा आर हँसता रहा |यह देखकर गिलहरी को बहुत बुरा लगा ,पर वह कुछ न कर सकती थी
|बन्दर सारा अमरुद खा गया |गिलहरी ने मन में सोचा -"मै जरूर बन्दर से बदला लूंगी "|
अमरुद खाकर बन्दर टहलने चला गया |लौट कर आया तो उसके पास रोटी थी |बन्दर रोटी कहीं सेचुरा कर लाया था |रोटी लेकर वह पेड़ पर जा बैठा |अचानक उसने देखा कि एक दूसरा बन्दर उसकी रोटी छीनना चाहता है |वह रोटी पेड़ पर छोड़कर दूसरे बन्दर के पीछे भागा |गिलहरी यह सब देख रही थी |उसने पेड़ पर से रोटी
उठा ली |रोटी लेकर वह पेड़ के खोखल में घुस गई |
बन्दर ने गिलहरी को रोटी ले जाते देख लिया |वह दौड़ता हुआ आया और खोखल में घुसने कि कोशिश करने लगा | खोखल का मुहँ छोटा था बन्दर बड़ा था ,इसलिए घुस नही पाया |गिलहरी आराम से बैठी रोटी खाती रही |बन्दर बाहर उछल कूद मचाता रहा |
गिलहरी ने अन्दर से कहा ,-"बन्दर मामा ,अब रोटी नही मिलेगी |इसी को कहते हैं _"जैसे को तैसा "
संकलन
नीलम मिश्रा
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5 पाठकों का कहना है :
jaise to taisa , kya baat hai ! , hme bahut accha laga , sach mein !!!!!!!thanx once again , !!!!!!!!!!!!i enjoyed a lot !!!!!!!!!
अच्छी कहानी. बहुत खूब नीलम जी.
मुझे भी एक ऐसी कहानी याद आ रही है. जिसमे पहले बिल्ली पहले सारस को खीर की दावत पर बुलाती है. और वो खीर एक प्लेट में निकलकर रखती है. सारस अपनी चोंच लम्बी होने की वजह से नहीं खा पाता है और बिल्ली सब चाट जाती है.
उसके बाद सारस उसे खीर की दावत पर बुलाता है और खीर को एक मटके में रखता है. अब सारस अपनी लम्बी चोंच से आराम से खाता है और बिल्ली देखती रह जाती है.
बाल मनोविज्ञान पर आधारित शिक्षाप्रद कहानी है .संदेश अच्छा लगा .बधाई .
सच मुच...
गिलहरी एक बहुत ही सीधा सादा जानवर होता है...
बेचारा मंकी...
अच्छी और शिक्षाप्रद कहानी है.
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