फूल
फूल
कोमल कोमल फूल
प्यारे प्यारे फूल .
रंग रंग के फूल
निखरे निखरे फूल .
हर पल हंसते फूल
मुस्काते हैं फूल .
बाग खिलाते फूल
जग महकाते फूल .
हार बनाते फूल
मंदिर चढ़ते फूल .
वेणी बनते फूल
बाल में सजते फूल .
सेज सजाते फूल
शव पर चढ़ते फूल .
भंवरे जाते फूल
जब भी मिलते फूल .
सीख सिखाते फूल
रहे न मन में शूल .
खूब लगे इनसान
फूल सजे परिधान .
फूलों से सत्कार
सबको इनसे प्यार .
बनकर फूल समान
बांटो खुशी जहान .
कवि कुलवंत सिंह
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5 पाठकों का कहना है :
फूलों की तरह बाल कविता महक रही है छोटी और सुंदर रचना .बधाई ..
फुलोवाली अच्छी कविता....
फुलोवाली अच्छी कविता....
देखो दुनिया में..
कैसे कैसे फूल...
सुंदर जी...
बनकर फूल समान
बांटो खुशी जहान .
कविता के अंत में अच्छी सीख दी आपने. बधाई.
बहुत ही सुन्दर कविता है.
कोई भी हो रुप
सुन्दर दिखते फूल
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