Friday, July 17, 2009

फूल

फूल

कोमल कोमल फूल
प्यारे प्यारे फूल .

रंग रंग के फूल
निखरे निखरे फूल .

हर पल हंसते फूल
मुस्काते हैं फूल .

बाग खिलाते फूल
जग महकाते फूल .

हार बनाते फूल
मंदिर चढ़ते फूल .

वेणी बनते फूल
बाल में सजते फूल .

सेज सजाते फूल
शव पर चढ़ते फूल .

भंवरे जाते फूल
जब भी मिलते फूल .

सीख सिखाते फूल
रहे न मन में शूल .

खूब लगे इनसान
फूल सजे परिधान .

फूलों से सत्कार
सबको इनसे प्यार .

बनकर फूल समान
बांटो खुशी जहान .

कवि कुलवंत सिंह


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

5 पाठकों का कहना है :

Manju Gupta का कहना है कि -

फूलों की तरह बाल कविता महक रही है छोटी और सुंदर रचना .बधाई ..

ओम आर्य का कहना है कि -

फुलोवाली अच्छी कविता....

manu का कहना है कि -

फुलोवाली अच्छी कविता....

देखो दुनिया में..
कैसे कैसे फूल...

सुंदर जी...

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बनकर फूल समान
बांटो खुशी जहान .
कविता के अंत में अच्छी सीख दी आपने. बधाई.

Disha का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर कविता है.
कोई भी हो रुप
सुन्दर दिखते फूल

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)