Saturday, December 15, 2007

बालकवि सम्मेलन की दूसरी व तीसरी कविता




नम्बर 2

चिडियाँ

चिड़ियाँ गाना गाती हैं
मिलकर रहना सिखाती हैं.
सबके मन को भाती हैं
चिडियाँ दाना खाती हैं .

बच्चों को दुलारती हैं
फुर -फुर कर उड़ जाती हैं.
प्यार से चहचहाती हैं
सुबह हमें जगाती हैं.

निधि पहाडे
कक्षा पांचवीं
एस.बी.ओ.ए.पब्लिक स्कूल
औरंगाबाद
महाराष्ट्र


नम्बर 3

सूरज

सूरज निकले पूरब से
हो जाए अस्त पश्चिम में.

सुबह सूरज जब आता है
सबको रोशनी लाता है.

सूरज जितना तेज जले
उतनी गरमी सब पर गिरे.

सूरज की किरणों को छूकर
कलियाँ भी खिल जाती हैं.

और सुबह-सुबह की
सुनहरी किरणें सब को भाती है .

जब जग काम पर लगता है
तब ऐसा सूरज मुझे बहुत अच्छा लगता है .

ऋषिकेश शिवाजी नलावडे
कक्षा चौथी
एस.बी.ओ.ए.पब्लिक स्कूल
औरंगाबाद
महाराष्ट्र



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7 पाठकों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

alokjun88निधि बाबू आपकी चिडिया तो बड़ी प्यारी है, मम्मा से कहकर अपने आलोक भइया के लिए भी एक चिडिया भेजवा दो.
आपको ढेर सारा प्यार
सप्रेम
आलोक सिंह "साहिल"

Anonymous का कहना है कि -

kjun88ऋषिकेश बाबू, बहुत अच्छे आपका सूरज तो बड़ा प्यारा और बड़े काम का है.
बहुत बहुत मुबारकबाद
सप्रेम
आलोक सिंह "साहिल"

Anonymous का कहना है कि -

सुंदर रचना है.
bahut खूब
अवनीश तिवारी

रंजू भाटिया का कहना है कि -

दोनों कविता बहुत ही सुंदर है .....मासूम सी प्यारी सी ....!!:)

Alpana Verma का कहना है कि -

निधि, चिडियों को बड़े ध्यान से देखा है तुमने तभी तो इतनी प्यारी सी कविता लिख डाली.
अच्छी शुरुआत है.
शुभकामनाएं!
ऋषिकेश,
तुम्हारी कविता भी अच्छी है .तुमने लिखा है''जब जग काम पर लगता है
तब ऐसा सूरज मुझे बहुत अच्छा लगता है .''
मतलब यह कि तुमको भी चुस्ती पसंद है.और सब जानते हैं कि सुस्त लोग किसी को पसंद नहीं आते.
सभी बच्चे इस बात को समझ लेंगे तो खूब सफलता पाएंगे.
शुभकामनाएं !

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

ऋषि का सूरज, निधि की चिड़िया
बहुत ही सुन्दर बहुत ही बढिया..

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

बच्चों की मौलिकता प्रशंसनीय है, चिडिया और सूरज के माध्यम से निधि और ऋषि नें बेहतरीन रचनायें प्रस्तुत की हैं, बहुत बधाई..

*** राजीव रंजन प्रसाद

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