बालकवि सम्मेलन की पहली कविता
जैसाकि हमने वादा किया था कि हम शनिवार ८ दिसम्बर २००७ को औरंगाबाद के एस॰बी॰ओ॰ पब्लिक स्कूल में हुए बालकवि सम्मेलन के कवियों की कविताएँ एक-एक करके प्रकाशित करेंगे तो हम आज लेकर आये हैं पहली कविता। पहली कविता आठवीं कक्षा के विद्यार्थी राहुल गुजर की है, जो औरंगाबाद में रहकर अपने आप को धन्य समझते हैं।
दुनिया में सबसे सुंदर
सबसे प्यारा
शहर है मेरा
खो जाता हूँ मैं कहीं
जब-जब गुजरूँ गुल्मंडी से
इमरती का स्वाद मीठा
आह! मेरे मन को भाये
दरवाजों का शहर है मेरा
उद्योगों का शहर है मेरा
ऐसा सुंदर शहर है मेरा !
ऐसा सुंदर शहर है मेरा ...
कितनी स्कूलें ,महाविद्यालय ज्ञान की ज्योत जलाये
और बाबा का विश्व विद्यालय भी खूब नाम कमाए
सलीम अली तालाब का नीला नीला पानी
मन चाहे मस्ती करूँ
सैर करूँ .
परदेसी सैलानी देखूं, देखूं विशाल तारांकित होटल
देखूं क्या मैं
अजन्ता-एलोरा
अनोखा देवगिरी किला
दक्खन का ताज महल भी मेरा
ऐसा सुंदर शहर है मेरा !
ऐसा सुंदर शहर है मेरा ...
राहुल गुजर
कक्षा आठवीं एस. बी. ओ. ए पब्लिक स्कूल,
औरंगाबाद
महाराष्ट्र
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7 पाठकों का कहना है :
बहुत सुंदर लिखा है राहुल..आपकी इस कविता के साथ हमने भी आपके शहर की सैर कर ली :)
लिखते रहे ..बहुत बहुत शुभकामना के साथ
सस्नेह
रंजू
राहुल काफी अच्छा लिखा।
वाह .....आपने तो कविता के माध्यम से अपना शहर घुमा दिया। ऐसे ही लिखते रहिये।
राहुल बाबू, बहुत मिठास भरी रचना है आपकी.
आपका अपने गृह नगर से ऐसा प्रेम काबिले तारीफ़ है.
आपकी प्यारी रचना के लिए ढेर सारी बधाई
सप्रेम
आलोक सिंह "साहिल"
राहुल बहुत अच्छी कविता है.
आप का शहर तो बड़ा सुंदर है.
और वहाँ इमरती भी मिलती है!क्या बात है!
ऐसे ही मीठा मीठा लिखते रहो.
लेकिन पढ़ाई भी साथ साथ बराबर चलती रहनी चाहिये.
हिन्दी प्रेम बनाये रखो.
ढेर सारी शुभकामनाएं!
राहुल दोस्त..
एक दम मस्त लिखा है
जबरदस्त लिखा है..
और इस प्यारी सी कविता में
एक प्यारा सा कवि दिखा है..
शुभकामनायें
राहुल जी का न केवल ऑब्जर्वेशन बहुत अच्छा है अपितु प्रस्तुतिकरण में भी कल का सशक्त रचनाकार छिपा बैठा है। बधाई..
*** राजीव रंजन प्रसाद
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