बाल कवि सम्मेलन की चौथी कविता...
मौसम बारिश का ... 

बारिश का आना 
मानो बचपन की याद सताना
वह पहली बारीश मैं कूदना -फिसलना 
कागज़ की कस्तियाँ पानी मैं छोड़ना
हँसना - रोना , रोना फ़िर हँसना 
कड़कती बिजलियों से डरकर गिरना 
गिरकर संभलना व बारीश मैं भीगना 
बारिश का आना मानो बचपन की याद सताना
बारिश का आना मानो बचपन की याद सताना
बीमार होना, सबकी डांट खाना 
स्कूल से छुट्टी लेना
फ़िर गरम रजाई का आनंद लेना 
बारिश का आना मानो बचपन की याद सताना
बारिश का आना मानो बचपन की याद सताना 
पेडों पर चढ़ना ,हरियाली को छूना 
वही मौसम बारिश का सुहाना 
यादों के सावन का रिमझिम बरसना 
मीठी बूंदों में नमी का घुल जाना 
बारिश का आना मानो बचपन की याद सताना
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अथर्व चंदोरकर 
एस.बी.ओ.ए . पब्लिक स्कूल 
औरंगाबाद महाराष्ट्र 
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ। क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए। तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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5 पाठकों का कहना है :
बारिश का आना मानो बचपन की याद सताना
पेडों पर चढ़ना ,हरियाली को छूना
वही मौसम बारिश का सुहाना
यादों के सावन का रिमझिम बरसना
सच में आपकी इस प्यारी सी कविता ने मुझे बचपन की याद दिला दी :) बहुत सुंदर लिखा है आपने अर्थव
अर्थव तुम्हारी कविता बडों-बडों को उसका बचपन याद दिलाती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
*** राजीव रंजन प्रसाद
क्या बात है अथर्व जी..
हमें आप पर है गर्व जी..
लिखते रहो .. बहुत बढिया लिख रहे हो..
भगवान खूब तरक्की दे..
अथर्व बाबु, बहुत ही प्यारी कविता, बचपन के बारिस के दिन याद आ गए,
आपको ढेर सारा प्यार और शुभकामना
आलोक सिंह 'साहिल"
अर्थव,
ईक और अच्छी प्रस्तुति के लिये बधाई
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