Wednesday, December 19, 2007

सी सी ऐ स्कूल गुड़गाँव [कर्नल सेन्ट्रल एकेडमी ] के बच्चो की कुछ रचनाये

बाल उद्यान का उद्देश्य रहा है बच्चों की रचनाधर्मिता का प्रोत्साहन। आज रंजना भाटिया जी का आभार करते हुए हम उनके द्वारा प्रेषित सी सी ऐ स्कूल गुड़गाँव [कर्नल सेन्ट्रल एकेडमी ] के बच्चो की कुछ रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें रंजना जी तथा विद्यालय से अपेक्षा है कि वे अपने विद्यालय के बच्चों की और भी रचनाएँ इस मंच के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे: -

फ़िर क्यों ?

जब बनाया भगवान ने सबको एक
सबको दिया एक शरीर
तो फ़िर क्यों? इंसान बन गए अनेक
संसार में उतरा था पानी, ले करके एकता की वाणी
फ़िर क्यों बँट गई सबकी वाणी
चलती थी पवन, सुनाती थी एकता का संगीत
फ़िर क्यों? अलग -अलग है अब सबका गीत
क्यों नही इंसान मिलता सुर को ताल से,
मन को भरे प्यार के भाव से
है यही मातृभूमि, इसमें रहने वाले मनुष्य एक
फ़िर क्यों? इसके टुकडे हुए अनेक
शायद !ये ही वे प्रश्न है
जिनके उत्तर नही हैं
परन्तु ये छिपाये नही जा सकते,
जब तक है मानव मिटाए नही जा सकते !!

ज्योति दहिया
कक्षा: -१० बी

********************************************************

माँ का महत्व

१ आसमान ने कहा ....माँ एक इन्द्रधनुष है ,जिसमें सभी रंग समाये हुए हैं
२ शायर ने कहा ....माँ एक ऐसी गजल है जो सबके दिल में उतरती चली जाती है
३ माली ने कहा ....माँ एक दिलकश फूल है जो पूरे गुलशन को मह्काता है
४ औलाद ने कहा ....माँ ममता का अनमोल खजाना है जो हर दिल पर कुर्बान है
५ वाल्मीकि जी ने कहा ....माता और मातर भूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊँचा है
६ वेद व्यास जी ने कहा ....माता के समान कोई गुरु नही है
७ पैगम्बर मोहम्मद साहब ने कहा....माँ वह हस्ती है जिसके क़दमों के नीचे जन्नत है

प्रियांशी
कक्षा:- १० बी


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

12 पाठकों का कहना है :

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

रंजना जी, आपका यह प्रयास प्रशंसनीय है। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारें।

सुजाता का कहना है कि -

सराहनीय प्रयास !! जारी रहे । हम कुछ योग देने का जैसे ही समय निकाल पायेंगे ज़रूर लिखेंगे ।
शुभकामना !

Anonymous का कहना है कि -

ज्योति और प्रियांशी, बहुत अच्छे, फ़िर क्यों, भाई अब कारन भी बता दीजिए,और माँ के गुडों का बखान. बहुत बढ़िया.
आप दोनों का प्रयास बहुत ही अच्छा रहा
आप दोनों से आशा करता हूँ की आप अपना यह क्रम जारी रखेंगे.
शुभकामनाओं समेत
आलोक सिंह "साहिल"

शोभा का कहना है कि -

सभी बच्चों ने सुन्दर प्रस्तुति दी है। हमारा मुख्य उद्देश्य यही है कि बच्चों में छिपी प्रतिभा बाहर आए । इस सुन्दर प्रयास के लिए रंजना जी का आभार । सभी बच्चों को आशीर्वाद तथा स्कूल के संचालकों का हृदय से धन्यवाद ।

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

रंजना जी को विषेश आभार के साथ सी. सी. ए स्कूल गुडगावां का भी आभार जिनके बच्चे अपनी रचनाधर्मिता बुलंद कर रहे हैं...

बच्चे बहुत बधाई के पात्र हैं।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Alpana Verma का कहना है कि -

-सुंदर प्रस्तुति है.
ज्योति तुम्हारे प्रश्न सही हैं लेकिन कोशिश करें तो कुछ न कुछ उत्तर हमने जरुर मिलेंगे.
-प्रियांशी तुम्हारी कविता माँ की महानता को समझा रही है.
-दोनों किशोरियों ने अच्छा प्रयास किया है.

शुभकामनाएं

रंजू भाटिया का कहना है कि -

ज्योति और प्रियांशी,बहुत अच्छा लिखा है आप दोनों ने ...माँ के बारे में पढ़ना बहुत ही अच्छा लगा मुझे !!

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बहुत प्यारा लिखा है बच्चों ने..

ज्योति के सवाल
वाकई कमाल

प्रियांशी की माँ की ममता
माँ का बखान
सच में माँ सर्व-महान

दोनो बच्चों को ढेर सारा स्नेह व शुभकामनायें
अगली रचना का इंतजार है..

anuradha srivastav का कहना है कि -

ज्योति तुमने तो वाकई कमाल कर दिया प्रश्न सोचने को मजबूर करते हैं।
शायद !ये ही वे प्रश्न है
जिनके उत्तर नही हैं
परन्तु ये छिपाये नही जा सकते,
जब तक है मानव मिटाए नही जा सकते !!
हाँ ,कोशिश तो फिर भी रहेगी ना। आने वाली पीढी कि तुम एक जागरुक सिपाही हो। प्रयास करते रहना।
बहुत खूबसूरत लिखा ।

"माँ" को लेखन का विषय बनाया और इतनी खूबसूरती से लिखा काबिले तारीफ है।पर प्रियाशीं तुम्हारा क्या मानना है?

Dr. sunita yadav का कहना है कि -

बहुत खूब ! ऐसे ही लिखते रहिये आगे चलकर आप सफल कवयित्री बनेंगे:-)
सुनीता

SahityaShilpi का कहना है कि -

रंजना जी और सी सी ए स्कूल प्रबंधन का बहुत बहुत आभार! दोनों रचनायें सुंदर हैं.

अभिषेक सागर का कहना है कि -

रंजना जी,
बहुत सुंदर प्रयास... बधाई

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)