बाल-वीर
मत भूल करो तुम बाल समझ
हम भारत माँ की वीर सभी
अवसर पर चला दिखा देंगें
अपने तरकश की तीर सभी...
हम इन्द्रधनुष के छोरों से
बाँध गगन के फलकों को
गढ़कर के पतंग उड़ा दें हम
जो झपक दें अपनी पलकों को
हम चाहें तो सागर को
पल में पीकर कुल्ला कर दें
आकाश गंग के सब तारे
आँचल में माँ तेरे भर दें
तोड़ें तेरी जंजीर सभी...
अवसर पर चला दिखा देंगें
अपने तरकश की तीर सभी
हम बाल गणेश शंकर सुत हैं
माता का वचन निभाते हम
हों अगर सामने जनक भले
अड़ जाते हम लड़ जाते हम
हम अडिग ध्रुव माँ के प्यारे
हममें हैं बाल-कृष्ण न्यारे
लव-कुश हैं हम प्रह्लाद हैं हम
दुश्मन के लिये फौलाद हैं हम
हम अभिमन्यू रणधीर सभी...
अवसर पर चला दिखा देंगें
अपने तरकश की तीर सभी
हम अपनी उँगली चटकाकर
ब्रह्म्माँड कँपाने वाले हैं
हम बालवीर हनुमान सभी
सूरज को खाने वाले हैं
हम एक इशारे पर माँ के
बलि जाने को रोहताश सभी
हम प्रलय मचा दें आखों से
माँ हो जो अगर उदास कभी
एकलव्य सभी बलवीर सभी...
अवसर पर चला दिखा देंगें
अपने तरकश की तीर सभी

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5 पाठकों का कहना है :
बहुत सुंदर बाल कविता है यह ..जोश भर देने वाली आवाज़ है इस में और भारत के सब वीर बच्चों का एक चित्र भी ...बधाई इस सुंदर रचना के लिए राघव जी ..
भुपेंदर जी बड़े दिनों बाद वीर रस से सराबोर इतनी प्यारी कविता पढी
मजा आ गया. दम है.
बच्चे रोमांचित हो जायेंगे कविता पढ़ कर.
बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
राघव जी ,बहुत खूब कविता के माध्यम से पौराणिक चरित्रों का बखान भी बखूबी किया है।
राघव जी बधाई स्वीकारें इस बाल कविता के लिए.
''हम एक इशारे पर माँ के
बलि जाने को रोहताश सभी
हम प्रलय मचा दें आखों से
माँ हो जो अगर उदास कभी
बहुत ही प्रभावी ढंग से देश प्रेम की भावनाओं को दर्शाया गया है.
काश ! हर देश वासी में यही भावना हो.
प्रिय बच्चों, देश प्रेम की इस कविता को नोट कर के रखो, कविता प्रतियोगिता में प्रस्तुत करने के लिए यह एक अच्छी और प्रभावी कविता है.
राघव जी,
आपने जिसमें भाव से यह रचना लिखी है वह स्तुत्य है। बहुत प्रसंशनीय रचना।
*** राजीव रंजन प्रसाद
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