एस॰बी॰ओ॰ए॰पब्लिक स्कूल में नोबेल पुरस्कार विजेताओं की प्रदर्शनी
दिनांक २०-१२-२००७ को एस.बी.ओ.ए.पब्लिक स्कूल में नोबल पुरस्कार प्राप्त भारतीय प्रतिभाओं का जीवन परिचय व कार्यक्षेत्र के बारे में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कक्षा पांचवीं, छठीं एवं सातवीं के विद्यार्थियों ने असाधारण प्रतिभा के धनी श्री रविंद्रनाथ (साहित्य), डा.चंद्र शेखर रमन (भौतिक विज्ञान), हरगोविंद खोराना (चिकित्सा), श्री शुब्रह्मन्य चन्द्रशेखर (भौतिकशास्त्र), अमर्त्य सेन (अर्थशास्त्र) व मदर टेरेसा (विश्वशांति) के अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र में प्राप्त विशिष्ट उपलब्धि व अमूल्य योगदान को विविध चार्ट एवं मॉडल की सहायता से बड़े ही उत्साहपूर्वक व प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया साथ ही सम्पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अतिथियों का शंका निवारण भी किया।
प्रदर्शनी का उद्घाटन स्थानीय पी.ऍफ़ कमिश्नर श्री श्याम टोंग के कर कमलों से हुआ. एस.बी.आई. शाखा के डी.जी.एम श्री जयकरन, एस..बी..आई. ओ.ए.औरंगाबाद शाखा के प्रेसिडेंट श्री सुनील शिंदे, सेक्रेटरी श्री एन .के जोशी कोषाध्यक्ष श्री पी.एन.देशमुख एवं अन्य ट्रस्टी की उपस्थिति एवं उनके द्वारा सराहे गए प्रसंशनीय शब्द न केवल विद्यार्थी बल्कि सभी शिक्षिकाओं के मनोबल भी बढ़ा रहे थे। प्रशासिका ...श्रीमती अनिता शिध्हये, मुख्याध्यापिकाएं श्रीमती सुरेखा माने व श्रीमती अर्चना फडके के अतुल्य मार्गदर्शन, एवं तमाम शिक्षिकाएँ व विद्यार्थियों के सहयोग से ही इस प्रदर्शनी का आयोजन सम्भव हो सका।
झलकियाँ









(निवेदन- कृपया आप भी अपने आस-पास के किसी भी स्थल पर हो रहे इस तरह के आयोजनों की पूरी रिपोर्ट bu.hindyugm@gmail.com पर भेजें)

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 पाठकों का कहना है :
मैं विद्यालय की प्रधानाचार्या जी तथा आयोजकों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करती हूँ जिन्होने बच्चों को अपने देश की उच्च विरासत को प्रदर्शित करने की प्रेरणा दी । साथ ही सभी बच्चे बधाई के पात्र हैं जिन्होने इस प्रदर्शनी में भाग लिया । हमारे बच्चे ही देश की आशा और उज्ज्वल भविष्य हैं । आशा है उनको इसी प्रकार मार्ग दर्शन मिलता रहेगा । इस प्रदर्शनी की पूरी टीम को हार्दिक बधाई
बहुत बहुत बधाई इस स्कूल के बच्चो को सभी अध्यापिकाओं को . ऐसी प्रद्शनी बच्चों को उत्साहित करती हैं और नए नए कार्यो को करने की प्रेरणा मिलती है ....बहुत अच्छा लगा इस को देख के !! बधाई एक बार फ़िर से !!
मैं आयोजक समेत पूरे स्कूल परिवार को तहे दिल से साधुवाद देना चाहूँगा.
साथ ही साथ इसमे प्रतिभाग करने वाले सभी बच्चों को ढेर सारी शुभकामनाएं क्योंकि ये ही हमारे देश का आने वाला कल मुक़र्रर करेंगे .
शुभकामनाओं समेत
आलोक सिंह "साहिल"
मेरा उन तमाम आयोजकों बच्चों व स्कूल के अध्यापक अध्यापिकाओं को हर्दिक बधाई..
बहुत ही प्रसंशनीय कार्य..
आयोजकों व प्रतिभागी बच्चों को मेरी ओर से हार्दिक बधाई! ऐसे कार्यक्रम बच्चों के सर्वांगीण विकास के आवश्यक सोपान हैं. आशा है कि अन्य स्कूल व शैक्षिक संस्थान भी इससे प्रेरणा लेंगे.
आयोजक समेत पूरे स्कूल परिवार को इतने अच्छे कार्य के लिये बधाई
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)