अख़बार
सुबह उगते सूरज के संग
चला आता है यह अखबार
दुनिया भर की सब ख़बरो को
ख़ूब मज़े से सुनाता अख़बार
सूरज के निकलते ही दादा बाहर बैठ जाते
दादी को पढ़ के ख़बरे ख़ूब मज़े से वो सुनाते
पापा को चाय के संग भाता है अपना अख़बार
रात रात भर छप के सुबह सबको खबर सुनाता अखबार
खेल कथा कहानी किस्से और लगाये ख़बरों का अम्बार
दुनिया भर के मौसम का भी हाल सुनाता है अखबार
घर बैठे हम सब पढ़ लेते जान लेते जगत का हाल
ऐसा प्यारा ऐसा दुलारा यह सबका है अखबार !!
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
11 पाठकों का कहना है :
रंजना जी,
अखबार पर अच्छी प्रस्तुति है। बच्चों को कंठस्त करते मज़ा भी आयेगा और जानकारी भी मिलेगी। बहुत बधाई।
*** राजीव रंजन प्रसाद
रंजू दी का प्यार मिला
सुबह-सुबह अखबार मिला
कैसा है मौसम का मिजाज
कौन खेल में जीता आज
खबरों का अम्बार मिला
सुबह-सुबह अखबार मिला
रंजू द ग्रेट..
अगली कविता/पाती का
बेसब्री से वेट..
-धन्यवाद
ह्म्म्म्म...
बहुत सुंदर है अखबार
अच्छी रचना है जी
अवनीश तिवारी
रंजू जी
सीधे सादे शब्दों में बहुत सुंदर रचना. बच्चों के लिए लिखना बहुत मुश्किल होता है लेकिन आप ने किस सरलता से इसे अंजाम दिया है. बधाई
नीरज
कमाल है भई. आप क्या क्या लिख लेती हैं !!!!!! बड़ा ही कठिन है ये .... मज़ा आ गया.
बहुत खूब!
इस बार दीदी की पाती का क्या हुआ चलो अखबार की महिमा भी अच्छी करी है आपने
रंजना जी,
क्या बढिया अखबार है....
रंजू जी,इतनी प्यारी बाल-कविता ! निशित तौर पर यह बच्चों को पसंद आयेगी.
अलोक सिंह "साहिल"
रंजना जी,
सीधे सादे शब्द समेटे हुए यह सरल सी कविता बच्चों को भाएगी और ख़ास कर इस में जो चित्र हैं वे कविता को और भी रोचक बना रहे हैं.धन्यवाद .
जी बढिया है.. अपुन के घर भी रोज सुबह अखबार आता है... मगर क्या करें शाम को ही पढ पाते हैं वो भी खाना खाते खाते या टी वी देखते देखते.....बीबी को नाराज कर के.....
सुन्दर रचना... बधाई
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)