हर गांव को आत्मनिर्भर बनाने का, गांधी ने स्वप्न सजाया था. लेकिन इस पर कभी न चल कर, नेताओं ने स्वप्न भुलाया था. उसी स्वप्न को फिर से लेकर, राष्ट्र कर्ण-धार फिर आया है. दिन रात प्रयत्न वह कर रहा, 130 कोटि दिलों में छाया है. गांव गांव को स्वावलंब बना कर, राष्ट्र को आत्म निर्भर बनायेगा. विश्व गुरु की पहचान बन भारत, फिर सोने की चिड़िया कहलायेगा. कुलवंत सिंह
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चित्र आधारित बाल कविता लेखन प्रतियोगिता
इस चित्र को देखते ही आपका मन कोई कोमल-सी कविता लिखने का नहीं करता! करता है ना? फिर देर किस बात की, जल्दी भेजिए। आखिरी तारीख- 30 मई 2010

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