ढेला और पत्ती
कभी पढी थी एक कहानी ।वही मासूम -सी कहानी सुनाती हूं बच्चों को ।एक मासूम ,भोली दोस्ती की ।एक छोटी- सी कोशिश की।
एक थी आम की पत्ती और एक मिट्टी का ढेला ।दोनो निश्चिन्त थे ।तभी आकाश में बादल घिरने लगे ।पत्ती बोली--बरसात आयेगी तो मैं तुम्हे ढंक लून्गी ।हलकी बयार भी चलने लगी ।यह देख ढेला पत्ती से बोला -"आन्धी आयेगी तो मै तुम पर बैठ जाऊन्गा "तभी ज़ोर की आन्धी आयी और बादलों की गडगडाहट के साथ तेज़ बारिश होने लगी । तेज़ बारिश में ढेला घुल गया और आन्धी में पत्ती उड गयी ।कहानी धीरे से बच्चों के कान में घुस गयी ।और नन्हे-मुन्ने गहरी नीन्द में सो गये ।
:)

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-