ढेला और पत्ती
कभी पढी थी एक कहानी ।वही मासूम -सी कहानी सुनाती हूं बच्चों को ।एक मासूम ,भोली दोस्ती की ।एक छोटी- सी कोशिश की।
एक थी आम की पत्ती और एक मिट्टी का ढेला ।दोनो निश्चिन्त थे ।तभी आकाश में बादल घिरने लगे ।पत्ती बोली--बरसात आयेगी तो मैं तुम्हे ढंक लून्गी ।हलकी बयार भी चलने लगी ।यह देख ढेला पत्ती से बोला -"आन्धी आयेगी तो मै तुम पर बैठ जाऊन्गा "तभी ज़ोर की आन्धी आयी और बादलों की गडगडाहट के साथ तेज़ बारिश होने लगी ।
तेज़ बारिश में ढेला घुल गया और आन्धी में पत्ती उड गयी ।कहानी धीरे से बच्चों के कान में घुस गयी ।और नन्हे-मुन्ने गहरी नीन्द में सो गये ।
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