पप्पू की जिद सुबह सवेरे पप्पूजीबागीचे में जब उठ कर आये,देख के घोंसला चिड़िया काख़ुशी से थे चीखे चिल्लाये,ताली मारते, उछ्लते-कूदतेदौड़ के फिर वो घर में आये,बड़े जोश में मम्मी जी कोबागीचे में वो खींच के लायेआओ मम्मी आओ देखोनन्हे-नन्हे प्यारे बच्चेपंख हैं उनके मखमल जैसेवर्षा में हों भीगे जैसेपर हम इनको प्यार करें तोचिड़िया चूँ-चूँ शोर मचायेतुम्ही बताओ कैसे इनकोखेलने को हम घर में लायेंमम्मी बोली प्यारे बच्चो जैसे तुम हो छोटे बच्चेअपनी माँ के प्यारे-दुलारे वैसे ही चिड़िया को भी हैंअपने बच्चे सबसे प्यारेतुमको गर कोई चोट लगे तोमम्मी जी का दिल घबरायेवैसे ही बच्चो को लेकरचिड़िया भी है शोर मचायेअभी तो ये उड़ना न जानेंन ही ये खाना भी जानें तभी तो दूर दूर से ला करइनकी माँ इन्हें खाना खिलायेअगर किसी की भूल से बच्चोघोंसले से ये नीचे गिर जाएँ तो बिल्ली चुपके से आकरइनको अपना शिकार बनाये प्यार से मम्मी जी ने था जबपप्पू जी को ये समझायाचिड़िया का यूँ शोर मचानातब था उसकी समझ में आयाकिसी भी पक्षी को फिर ले करकभी नहीं वो जिद मेआया--डा0अनिल चड्डा,निदेशक,दूरसंचार विभाग,संचार भवन, नई दिल्ली09013131345,09868909673
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