Wednesday, September 15, 2010

दस एकम दस


"दस एकम दस"

दस एकम दस,

दस दूनी बीस,

खुद को समझना मत बच्चो,

किसी से भी उन्नीस ।


दस तीए तीस,

दस चौके चालीस,

कभी न करना बेइमानी तुम,

रहना हरदम खालिस ।


दस पंजे पचास,

दस छेके साठ,

पढते रहना हरदम बच्चो,

सदाचार के पाठ ।


दस सत्ते सत्तर,

दस अट्ठे अस्सी,

जीवन भर तुम खींच के रखना,

चंचल मन की रस्सी ।


दस नामे नब्बे,

दस दाये सौ,

मेहनत से है मिलता जो भी,

कभी न देना खो ।


अनिल चड्ढा



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6 पाठकों का कहना है :

Akshitaa (Pakhi) का कहना है कि -
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रावेंद्रकुमार रवि का कहना है कि -
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डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -
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rachana का कहना है कि -
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डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -
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शोभा का कहना है कि -
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