Sunday, May 23, 2010

बगुले और मछलियाँ



बगुलों ने ऊपर से देखा
नीचे फैला छिछला पानी
उस पानी में कई मछलियाँ
तिरती-फिरती थी मनमानी


सातों अपने पर फडकाते
उस पानी पर उतर पड़े
अपनी लम्बी -लम्बी टांगों
पर सातों हो गए खड़े

खड़े हो गए सातों बगुले
पानी बीच लगाकर ध्यान
कौन खड़ा है घात लगाए
नहीं मछलियां पायीं जान

तिरती -फिरती हुई मछलियां
ज्यों ही पहुंची उनके पास ,
उन सातों ने सात मछलियां
अपनी चोंचों में ली फाँस

पर फड़काकर ऊपर उठकर
उड़े बनाते एक लकीर
सातों बगुले ऐसे जैसे
आसमान में छूटा तीर

हरिवंशराय बच्चन

इस कविता को आप नीलम आंटी की प्यारी आवाज़ में सुन भी सकते हैं। नीचे का प्लेयर चलायें।


Tuesday, May 18, 2010

'पानी के बोतल से बनाओ कुछ खास' और हमें भेजो

प्यारे बच्चो,
आजकल छट्टियों में क्या कर रहे हो, गर्मी बहुत पड़ रही है इसलिए सिर्फ सुबह और शाम को ही बाहर खेलने जाना और हाँ अपनी पानी की बोतल साथ में ले जाना मत भूलना। पानी की बोतल से याद आया कि क्यों न हम सब इन छट्टियों में बोतल को कचरे में फेकने की बजाय इन से प्यारी-प्यारी डॉल्स(गुड़िया) बनाएँ। कुछ चित्र भेज रही हूँ उन्हें देखकर अपनी रचनात्मकता लगाकर और भी बहुत कुछ बना सकते हो और उसकी फोटो खीचकर हमारे पास भेज सकते हो। सबसे अच्छी रचनात्मक कृति को हम पुरुस्कृत भी करेंगे ...........(उदाहरण के लिए- 2008 के बाल-दिवस के अवसर पर बाल-उद्यान ने औरंगाबाद शहर के Kids IT World के साथ मिलकर 'बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट्स' नाम से एक प्रतियोगिता की थी। आप यहाँ पुरस्कृत मॉडेल देखो, आपको आइडिया मिलेगा कि कैसे बनाना है)





फिलहाल तो उठाओ
पुराने रंगीन कागज़
पुरानी बोतल
कुछ सजावट का सामान
और
तैयार करो अपनी अपनी गुडिया और पाओ सबकी प्रशंसा जल्दी से अपनी गुडिया (चित्र )हमे इस baaludyan@hindyugm.com पर भेजो।

तुम्हारी नीलम आंटी

नोट- कृपया स्कैन करने या फोटो खींचने से पहले निर्मित सामग्री के आस-पास हस्तलिखित (handwritten) अपना नाम चिपकायें। जो चित्र आप हमें भेज रहे हैं उसमें आपका नाम दिखना चाहिए।


Saturday, May 15, 2010

नन्हे-नन्हे चूजे



नन्हे-नन्हे चूजे हैं, प्यारी-प्यारी मुर्गियाँ,
मन को लुभा रही हैं लाल-लाल कलगियाँ।

कुकड़-कूँ कर के दाना हैं खा रही,
साथ-साथ चूजों को अपने खिला रहीं,
दे रही हैं बीच-बीच ममता की झलकियाँ।

उड़ने की लालसा में पंख हैं फैला रहीं,
दड़बे से निकल कर दूर-दूर जा रहीं,
बंद की चुन्नू ने डर कर थी खिड़कियाँ ।

गर्म-गर्म गोल-गोल अंडे हैं दे रहीं,
रोज-रोज खाने का न्यौता भी दे रहीं,
सर्दी हो, वर्षा हो या हो फिर गर्मियाँ

डॉ॰ अनिल चड्डा


Thursday, May 13, 2010

दूसरी 'चित्र आधारित बाल-कविता प्रतियोगिता' में हिस्सा लीजिए

दोस्तो,

चित्र-आधारित कविता-प्रतियोगिता का दूसरा अंक लेकर हम हाज़िर हैं। पहले अंक में आप सभी ने बहुत बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके लिए आपका धन्यवाद। इस बार आप नीचे दिये गये चित्र पर हमें प्यारी सी मगर छोटी बाल-कविता लिख कर भेज दें। आप कविता baaludyan@hindyugm.com पर भेज सकते हैं। कविता भेजने की अंतिम तिथि- 30 मई 2010 है।

अधिक से अधिक संख्या में भाग ले कर इस प्रतियोगिता को सफल बनाने में हमारा योगदान करें। कविता पहले से कही भी प्रकाशित न हो, इस बात का ध्यान अवश्य रखें।

उल्लेखनीय कविताओं का प्रकाशन बाल-उद्यान में रचनाकार के परिचय और चित्र के साथ किया जायेगा।


Saturday, May 8, 2010

क्या आप जानते हैं ?

क्या आप जानते हैं?

1) भारत में हर 15 सेकंड एक नवजात बच्चे की मृत्यु हो जाती है।

2) प्रतिवर्ष जन्म लेने के चौबीस घंटे के भीतर पूरे देश में चार लाख बच्चे मर जाते हैं।

3) बीस लाख बच्चे अपना 5वाँ जन्मदिन देखने के पहले ही मर जाते हैं।

4) पूरे विश्व में यह संख्या 88 लाख बच्चों की है।

5) पर दुःख की बात यह है की पूरे विश्व के 1/5 प्रतिशत बच्चे जो मरते हैं, वे भारतीय बच्चे होते हैं।

6) कुपोषित तीन विश्व के बच्चों में एक बच्चा भारत यानी हमारे देश का है।

जरा उस माँ के बारे में सोचिये, जिसने उसे अपने गर्भ में 9 माह रखा और उसे देख भी नहीं पायी कि वह इस दुनिया में अब नहीं है, है न हम सभी के लिए राष्ट्रीय शर्म की बात।


Thursday, May 6, 2010

अकबर-बीरबलः भगवान की गलती



एक बार जहाँपनाह अकबर ने बीरबल से कहा की इस दुनिया में भगवान ने बहुत सारी गलतियाँ की हैं। चलो हम उन्हें एक कागज पर लिखते हैं और जब हम भगवान के यहाँ जायेंगे तो शिकायत करेंगे। बीरबल ने कहा- ''जहाँपनाह भगवान ने जो भी किया है वो सही किया है।'' लेकिन मन ही मन में बीरबल कुढ़ रहे थे की भगवान ने एक गलती जरूर कर दी कि उनकी जगह अकबर को राजा बना दिया। फिर भी राजा की आज्ञा थी तो कलम-दवात लेकर निकल पड़े अकबर के साथ। घूमते हुये दोनों लोग मिलकर गलतियाँ ढूँढने की कोशिश करने लगे। सबसे पहले उन्हें एक तरबूज की एक बेल दिखाई पड़ी जिस पर बड़े-बड़े तरबूज लगे थे। बादशाह बोले- '' बीरबल पहली गलती को लिखा जाये की इतनी पतली और कमजोर डाल पर इतने बड़े-बड़े तरबूज लगे हैं।'' वहीं पर पास में एक बागीचा भी था जिसमें आम के पेड़ लगे हुये थे। अकबर बोले- '' बीरबल दूसरी गलती को भी लिखो कि इतनी मोटी डाल पर इतने छोटे-छोटे आम लगे हैं। लेकिन उस बेचारी पतली सी बेल पर इतने भारी-भरकम तरबूज लगे थे। बीरबल बोले- '' जो हुकुम महाराज।'' फिर अकबर बोले- ''बीरबल मैं बहुत थक गया हूँ और अब आराम करने को जी कर रहा है।'' बीरबल बोले- '' हुजूर, यहीं आम के पेड़ के नीचे मैं अपना अंगौछा बिछा देता हूँ, और अब आप लेट कर आराम कर लीजिये।'' अकबर वहाँ लेट कर झपकी लेने लगे तभी एक आम पट से उनकी नाक पर गिरा और वह तिलमिलाकर उठ बैठे और बोले- '' बीरबल इस पेड़ को काटकर फेंक दो।'' बीरबल बोले- '' जहाँपनाह भगवान जो भी करता है अच्छे के लिये ही करता है। यह तो एक छोटा सा आम ही था..लेकिन इसकी जगह अगर पेड़ पर तरबूज लगा होता तो आप का क्या हाल होता।'' तब अकबर की समझ में आया और बोले- '' हाँ बीरबल बात तो तुम्हारी सही लगती है।''


Monday, May 3, 2010

मलक मेहता- एक और बाल चित्रकार

आज हम एक और बाल-चित्रकार को इस उपवन में रोंप रहे हैं। बताइए कैसी है इसकी महक?


मलक मेहता

जन्मतिथि- 9 मार्च 2001
कक्षा- 4
अभी-अभी मलक ने चौथीं कक्षा में प्रवेश लिया है। डीपीएस स्कूल, सूरत की छात्रा मलक सरोज ख़ान से नृत्य-विद्या की ट्रेनिंग ले चुके प्रशिक्षक से डांस सीख रही हैं। किसी समय में मलक को लॉन टेनिस का भी शौक था, लेकिन इस दिनों नृत्य का जुनून है। चित्रकारी से विशेष लगाव है।