अकबर-बीरबलः भगवान की गलती
एक बार जहाँपनाह अकबर ने बीरबल से कहा की इस दुनिया में भगवान ने बहुत सारी गलतियाँ की हैं। चलो हम उन्हें एक कागज पर लिखते हैं और जब हम भगवान के यहाँ जायेंगे तो शिकायत करेंगे। बीरबल ने कहा- ''जहाँपनाह भगवान ने जो भी किया है वो सही किया है।'' लेकिन मन ही मन में बीरबल कुढ़ रहे थे की भगवान ने एक गलती जरूर कर दी कि उनकी जगह अकबर को राजा बना दिया। फिर भी राजा की आज्ञा थी तो कलम-दवात लेकर निकल पड़े अकबर के साथ। घूमते हुये दोनों लोग मिलकर गलतियाँ ढूँढने की कोशिश करने लगे। सबसे पहले उन्हें एक तरबूज की एक बेल दिखाई पड़ी जिस पर बड़े-बड़े तरबूज लगे थे। बादशाह बोले- '' बीरबल पहली गलती को लिखा जाये की इतनी पतली और कमजोर डाल पर इतने बड़े-बड़े तरबूज लगे हैं।'' वहीं पर पास में एक बागीचा भी था जिसमें आम के पेड़ लगे हुये थे। अकबर बोले- '' बीरबल दूसरी गलती को भी लिखो कि इतनी मोटी डाल पर इतने छोटे-छोटे आम लगे हैं। लेकिन उस बेचारी पतली सी बेल पर इतने भारी-भरकम तरबूज लगे थे। बीरबल बोले- '' जो हुकुम महाराज।'' फिर अकबर बोले- ''बीरबल मैं बहुत थक गया हूँ और अब आराम करने को जी कर रहा है।'' बीरबल बोले- '' हुजूर, यहीं आम के पेड़ के नीचे मैं अपना अंगौछा बिछा देता हूँ, और अब आप लेट कर आराम कर लीजिये।'' अकबर वहाँ लेट कर झपकी लेने लगे तभी एक आम पट से उनकी नाक पर गिरा और वह तिलमिलाकर उठ बैठे और बोले- '' बीरबल इस पेड़ को काटकर फेंक दो।'' बीरबल बोले- '' जहाँपनाह भगवान जो भी करता है अच्छे के लिये ही करता है। यह तो एक छोटा सा आम ही था..लेकिन इसकी जगह अगर पेड़ पर तरबूज लगा होता तो आप का क्या हाल होता।'' तब अकबर की समझ में आया और बोले- '' हाँ बीरबल बात तो तुम्हारी सही लगती है।''
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5 पाठकों का कहना है :
बहुत खूब
sahi hai
धन्यबाद !
kahani bahut acchi lagi.....
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