अपनी आँखें खोलो ,
अपनी आँखें खोलो ,
और देखो जीवन की सच्चाइयाँ
समझो अपने कर्तव्य
अपनी आँखें खोलो ,
और देखो विस्तृत संसार
उसकी सुन्दरता भी ,
जिन्दगी यूँ न बीते इन जंक (विषैले )खानों में
न ही फैलाने सडक पर कचरे में ,
न हम झूठ बोलें कभी ,
और साहस करें सच बोलने में सभी ,
अपने भारत का निर्माण करो
नव निर्माण करो
"प्रदूषण " रुपी राक्षस को ख़तम करो
हरियाली का सपना सच करो
मेरे साथियों (दोस्तों )एक हो जाओ
उठो ,खड़े हो और फिर से जाग जाओ
अपने देश के लिए
जय हिंद
जय भारत
वन्देमातरम
रूपम चोपड़ा की " REAWAKEN "
(जिसे हिंदी में तुम सबके पास लाने की कोशिश की है तुम्हारी नीलम आंटी ने )

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
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कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
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मैं आलू हूँ भई, मैं आलू हूँ

बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-