Wednesday, March 31, 2010

अपनी आँखें खोलो ,

अपनी आँखें खोलो ,
और देखो जीवन की सच्चाइयाँ
समझो अपने कर्तव्य

अपनी आँखें खोलो ,
और देखो विस्तृत संसार
उसकी सुन्दरता भी ,

जिन्दगी यूँ बीते इन जंक (विषैले )खानों में
ही फैलाने सडक पर कचरे में ,
हम झूठ बोलें कभी ,
और साहस करें सच बोलने में सभी ,

अपने भारत का निर्माण करो
नव निर्माण करो
"प्रदूषण " रुपी राक्षस को ख़तम करो
हरियाली का सपना सच करो

मेरे साथियों (दोस्तों )एक हो जाओ
उठो ,खड़े हो और फिर से जाग जाओ
अपने देश के लि
जय हिंद
जय भारत
वन्देमातरम

रूपम चोपड़ा की " REAWAKEN "
(जिसे हिंदी में तुम सबके पास लाने की कोशिश की है तुम्हारी नीलम आंटी ने )


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पाठक का कहना है :

Pritishi का कहना है कि -

नीलम जी,
सबसे पहले, आपका तहे-दिल से शुक्रिया के आपने मेरी कविता को बालोद्यान के लिए चुना | यह मेरे लिए अत्यधिक सम्माननीय बात है |
आशा करती हूँ के नन्हे मुन्नों को यह कविता पसंद आएगी और इस कविता के सार वे अपने जीवन मे उपयोग करेंगे |
यह कविता एक नन्ही-मुन्नी के लिए लिखी गयी थी ताकि वह अपने स्कूल के अनेक बच्चों तक पहुंचा सके | किसी कारणवश वह हो न पाया था | मुझे हर्ष है के वह कविता बच्चों तक पहुँच पाई - वह भी अपनी मातृभाषा में !

दुआएं!
रूपम चोपड़ा

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