चित्र प्रदर्शनीः लखनऊ में हुई चित्रकला प्रतियोगिता से
उत्तर प्रदेश सचिवालय कालोनी, महानगर, लखनऊ में सेक्रेटरियेट वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित स्वतन्त्रता दिवस की 63वीं जयन्ती पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के अतिरिक्त चित्रकला की प्रतियोगिता भी रखी गई थी जिसे कुल तीन श्रेणियों में बाँटा गया।
श्रेणी एक में कक्षा-नर्सरी से कक्षा-2 तक, श्रेणी दो में कक्षा-3 से कक्षा-5 तक तथा श्रेणी तीन में कक्षा-6 से कक्षा-12 तक के विद्यार्थियों सम्मिलित किया गया। तथा प्रत्येक श्रेणी में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार रखे गये। इसके अतिरिक्त कुछ विशिष्ट तथा अन्य को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किए गए।
पुरस्कृत चित्रों का विवरण निम्न प्रकार से है:-
श्रेणी-एक विषय- स्वतंत्रता दिवस
प्रथम- यशांशु सिंह कक्षा-2,

द्वितीय- शारिक़ कक्षा-2,

तृतीय- लव कक्षा-2

श्रेणी-दो विषय-पर्यावरण
प्रथम- सूर्यांश सिंह कक्षा-5,

द्वितीय- अंशिता श्रीवास्तव कक्षा-5,

तृतीय- शिखर सिंह कक्षा-3

श्रेणी-तीन विषय- जय जवान-जय किसान
प्रथम- गौरव जायसवाल कक्षा-9,

द्वितीय- अपर्णा पाल कक्षा-12,

तृतीय- शुभ्रा सिंह कक्षा-12

श्रेणी-अन्य
विशेष पुरुस्कार- सौम्या सिंह कक्षा-2,

सांत्वना पुरुस्कार-
सलोनी कक्षा-1,

समृद्धि कक्षा-3,

जय कक्षा-3,

प्राची कक्षा-4,

समर्थ प्रधान कक्षा-5,

कार्तिकेय कक्षा-5,

आयुषी कक्षा-5,

श्रुति कक्षा-7

प्रस्तुति-
देवेन्द्र सिंह चौहान
सचिव, सेक्रेटरियेट एवेन्यू वेलफेयर एसोसिएशन
सचिवालय कालोनी, महानगर, लखनऊ एवं
अपर निजी सचिव, उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ
दूरभाष 0522 - 2238942 (कार्यालय), 0522 - 2238309 (फैक्स)
मोबाइल - 9454410099

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।




बच्चो आओ तुम्हे सुनाऊँ 




बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-