हितोपदेश 18- चूहे ने मारी बिल्ली
एक बार बिल्ली थी एक
चूहे खा जाती अनेक
दुःखी थे उससे चूहे सारे
इक दिन सारे मिल के विचारे
सोचा मिलकर एक उपाय
बिल्ली को जा दिया बताय
बोले अपने मन में विचारो
रोज क्यों इतने चूहे मारो
इतने चूहे रोज मारोगी
कितने दिन तक पेट भरोगी
खत्म हो जाएंगे चूहे जब
बोलो क्या करोगी तब
इक चूहा जब तेरा खाना
बाकी सबको क्यों सताना
मानो जो हमारा कहना
अपने घर आराम से रहना
रोज एक चूहा आएगा
पेट तेरा तो भर जाएगा
हम सब भी खुश रह पाएंगे
कुछ दिन तक तो जी पाएंगे
बात यह बिल्ली के मन भाई
सुनकर मन ही मन मुस्काई
बोली अपना वचन निभाना
ठीक समय पर पहुँचे खाना
रोज एक चूहा वहाँ जाता
बिल्ली का भोजन बन जाता
बिल्ली उसे मजे से खाती
पानी पीती और सो जाती
एक बार इक चूहा सयाना
सोचा अब तो है मर जाना
क्यों न सोचे कोई उपाय
जिससे बाकी सब बच जाएँ
जहरीला कुछ खाना खाकर
रुका वो बिल्ली के पास में जाकर
झपट के उसको बिल्ली खा गई
खाते ही धरती पर गिर गई
हो गए सब चूहे आजाद
करते उस शहीद को याद
पर हित खातिर दे दी जान
यही तो वीरों की पहचान
मर कर स्वयं वो सबको बचाए
तभी तो अमर शहीद कहाए

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6 पाठकों का कहना है :
शीर्षक आकर्षक है .संदेश निडरता ,साहस और परोपकार का मिलता है .
शीर्षक आकर्षक है .संदेश निडरता ,साहस और परोपकार का मिलता है .
सीमा जी,
आपकी रचना ने चूहों को बिल्ली से बचना सिखाया और पढ़कर मुझे बहुत मजा आया. हैप्पी लोहड़ी!! जी.
sumit bhardwaj
kavita bahut he acchi aur shiksha prad lagi....
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