मेरी पहचान दो आंखें और दो ही कान एक नाक मेरी पहचान दो बाहें और दो ही हाथ मिलकर काम करें ये साथ सिर पर भूरे लम्बे बाल चिकने चिकने मेरे गाल दो टांगें और दो ही पैर भागुं जिससे लगे न देर
आदरणीय सुश्री सीमा सचदेवा जी! नमस्कार! आपका ब्लाग ‘बाल उद्यान’ का अवलोकन किया और आपकी कविता पढ़ी ‘मेरी पहचान’ पढ़ कर प्रसननता हुई। अभी ब्लागिंग में मैं नवागंतुक हँू। इसके संचालन के गुर सीख लूँ तत्पश्चात उसके बाद ‘बाल उद्यान’ से जुड़ता हँू। सद्भावी डा0 डंडा लखनवी
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2 पाठकों का कहना है :
आदरणीय सुश्री सीमा सचदेवा जी!
नमस्कार!
आपका ब्लाग ‘बाल उद्यान’ का अवलोकन किया और आपकी कविता पढ़ी ‘मेरी पहचान’ पढ़ कर प्रसननता हुई। अभी ब्लागिंग में मैं नवागंतुक हँू। इसके संचालन के गुर सीख लूँ तत्पश्चात उसके बाद ‘बाल उद्यान’ से जुड़ता हँू।
सद्भावी
डा0 डंडा लखनवी
सीमा जी,
वाह! कितनी सुन्दर तस्वीरें हैं नवजात शिशुओं की. कविता भी प्यारी सी है.
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