Monday, February 8, 2010

मेरा परिवार



खुशियों का संसार है
जीवन का आधार है।
सुख ही नहीं दुख भी बाँटे
ऐसा मेरा परिवार है।।

माँ-बाबूजी कदम-कदम पर
सही गलत समझाते हैं।
भटकें ना जीवन की राहों में
ऐसे संस्कार सिखलाते हैं।।
रिश्तों का पारावार है
ऐसा मेरा परिवार है।।

निश्चल अमिट प्यार की नदियाँ
घर आँगन में बहती हैं।
एक-दूजे पर जो मिट जायें
यहाँ ऐसी बहनें रहती हैं।।
भैय्या का भी दुलार है
ऐसा मेरा परिवार है।।

--दीपाली पंत तिवारी


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2 पाठकों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

निश्चल अमिट प्यार की नदियाँ
घर आँगन में बहती हैं।
एक-दूजे पर जो मिट जायें
यहाँ ऐसी बहनें रहती हैं।।
भैय्या का भी दुलार है
ऐसा मेरा परिवार है।।

bahut achche bhaav

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

माँ-बाबूजी कदम-कदम पर
सही गलत समझाते हैं।
भटकें ना जीवन की राहों में
ऐसे संस्कार सिखलाते हैं।।
रिश्तों का पारावार है
ऐसा मेरा परिवार है।।

सुंदर भाव..सुंदर रचना...धन्यवाद दीपाली जी

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