Monday, February 15, 2010

नादान कौन ?

नादान कौन ?
रोहन ने कबूतर को उड़ाने के लिए रेत उछाली तो वह दीपेश के बालों में जा गिरी. दीपेश ने रोहन को धक्का दिया तो वह लडखडा कर गिर गया. रोहन का घुटना छिल गया. शाम को रोहन के पिता दीपेश के घर जाकर उसके पिता से लड़ पड़े. हाथापाई, हंगामा किसी ने थाने फोन कर दिया, पुलिस आई और दोनों को पकड़ ले गई. आस पड़ोस वाले गए और बीच बचाव कर दोनों को छुड़ा लाये.
दुसरे दिन छुट्टी के समय दीपेश और रोहन गोल गोल घूम रहे थे, ज्यादा घूमने से चक्कर आये तो खिलखिला कर एक दुसरे से लिपट गए। बच्चो को लेने आई, दोनों की मम्मियों ने स्कूल के दरवाजे पर खड़े हो यह दृष्य देखा. दोनों मम्मियों की नज़रे मिली और मुंह फेर लिया

विनय के जोशी


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

3 पाठकों का कहना है :

सीमा सचदेव का कहना है कि -

छोटी सी कहानी और कितनी बडी बात । इसीलिए तो बच्चे बच्चे होते हैं और बचपन प्यारा होता है जिसमें न कोई वैर-विरोध न दुनियादारी की परवाह ।
न कोई चिन्ता न फ़िक्र
न ही कुछ खोने का डर
न दुनियादारी न झंझट
कितना प्यारा है बचपन

Anonymous का कहना है कि -

sumit says
very nice.

neelam का कहना है कि -

विनय जी" देर आयद दुरुस्त आयद " शायद सभी माता -पिता की जिन्दगी में ये वक़्त आता है ,की उन्हें बच्चों से सीखना पड़ता है कि जो भी हो बच्चों के मामलों में बड़ों की दखलंदाजी हरगिज नहीं चलती .

ऐसी ही अच्छी प्रस्तुति का आगे भी इन्तजार रहेगा हमारे बाल -उद्यान को

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)