परीक्षा के दिन
प्यारे बच्चो,
मैं आप सबसे बहुत दिनों बाद मिल रही हूँ. आज कल आप लोगों की परीक्षायें चल रही हैं. तो उम्मीद है की आप सभी लोग खूब मन लगाकर पढ़ाई भी कर रहे होंगें. पर्चे देने के बाद अगले पर्चे की तैयारी में जुट जाते होंगे. जीवन में यही समय ही तो होता है मेहनत करके अपना आने वाला भविष्य सुखमय और उज्जवल बनाने का. यदि खूब मन लगाकर परीक्षा दें तो मेहनत जरूर सफल होती है. अपने में आत्म बिश्वास रखिये तो अच्छे अंक लेकर उतीर्ण होंगे. आपकी दिनचर्या का क्या हाल है? मेरे ख्याल से आजकल इम्तहान की वजह से आप लोग सुबह जल्दी उठते होंगें. और फिर तैयार होकर पेपर देने जाते होंगें. मन में कुछ घबराहट सी भी लगती है परीक्षा के दिनों में चिंता के मारे ...मुझे भी लगा करती थी. किन्तु अपने मन को शांत रखें और लगन से पढाई करें घर पर. और बीच में थक जाने पर कुछ आराम कर लें तो दिमाग में ताजगी आ जाती है. खाने में भी अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें...मानसिक ताकत के लिए आप लोग रोज दूध, मेवा व फल भी लें. समय पर सुबह उठ कर तैयार होना, नाश्ता आदि करके निकलें आप लोग और शांत मन से पेपर दें. घबराएँ बिलकुल ना. और परीक्षा देने जाते समय अपने बड़ों का आशीर्वाद जरूर लें. मुझे पता है की आप सभी तन-मन से डटकर अब पढ़ेंगे और अच्छा परिणाम पायेंगे. मेरी तरफ से आप सबको तमाम शुभकामनायें.
-शन्नो अग्रवाल
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5 पाठकों का कहना है :
आपका ब्लॉग मेरी नन्ही बेटी ने पढ़ा और खूब खुश हुई ......चित्र देखकर और भी आनंद आया .
शन्नो जी दुरुस्त फ़रमाया आपने।
सुशीला जी और ववाल जी, आप दोनों की टिप्पणी पढ़ कर अत्यंत प्रसन्नता हुई. बहुत-बहुत धन्यबाद.
और सुशीला जी आपकी बिटिया रानी को मेरा ढेर सारा प्यार.
शन्नो जी हमारी बिटिया रानी के भी इम्तिहान शुरू होने वाले हैं ,इतनी बढ़िया और उपयोगी जानकारी के लिए शुक्रिया ,और एक बात और ये बबाल जी ने शायद अपने पढने के दिनों में सिर्फ बबाल ही किया होगा जो आज सोच रहें हैं कि ,गया वक़्त वापस नहीं आता इनसे कहिये अपनी पहचान इतनी डरावनी क्यों रखी है ,हम बाल -उद्यान पर बबाल नहीं चाहते हा हा हा हा
नीलम जी, आपकी बातें जैसे ही पढना शुरू करती हूँ हँसी की शुरुआत हो जाती है. ववाल जी ने अब आपका इशारा समझ लिया होगा....अब मुझे इस ववाल में पड़ने की जरूरत नहीं....शायद नाम बदल लें अब आपको खुश करने के लिए या...फिर आपके डर के मारे. और आपके बिना हर जगह सूना लगता है...उधर तन्हा जी आपको मिस करके बेचैन हो रहे हैं....और मुझसे कहा है की मैं आपको कहीं से पकड़ कर..खींचतान कर 'आवाज़' की महफ़िल में ले आऊँ. तो अब मैंने आपको यहाँ पकड़ लिया है. अब आप कृपा करके अपनी हाजिरी लगाकर उनको अपने दर्शन से अनुग्रहीत कीजिये. हा हा....पाखी बिटिया को मेरा ढेर सा प्यार और ढेर सी शुभकामनायें देना.
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