सुनिए यह कदम्ब का पेड़
बच्चो,
आज हम सुभद्रा कुमारी चौहान की बहुत प्रसिद्ध कविता 'यह कदम्ब का पेड़' आपको सुनवाये आये हैं। इसे आवाज़ दिया है अर्चना चावजी ने, जो इंदौर के कोलंबिया कोंवेंट स्कूल में स्पोर्ट टीचर के पद पर 12 वर्षो से कार्य कर रही हैं।
यह कदंब का पेड़
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे।।
ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली।
किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली।।
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता।
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता।।
वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता।
अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता।।
बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता।
माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता।।
तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे।
ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे।।
तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता।
और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता।।
तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती।
जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं।।
इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे।
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।।
नीचे के प्लेयर से यह कविता सुनिए-
अर्चना चावजी

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।





मैं आप सबसे बहुत दिनों बाद मिल रही हूँ. आज कल आप लोगों की परीक्षायें चल रही हैं. तो उम्मीद है की आप सभी लोग खूब मन लगाकर पढ़ाई भी कर रहे होंगें. पर्चे देने के बाद अगले पर्चे की तैयारी में जुट जाते होंगे. जीवन में यही समय ही तो होता है मेहनत करके अपना आने वाला भविष्य सुखमय और उज्जवल बनाने का. यदि खूब मन लगाकर परीक्षा दें तो मेहनत जरूर सफल होती है. अपने में आत्म बिश्वास रखिये तो अच्छे अंक लेकर उतीर्ण होंगे. आपकी दिनचर्या का क्या हाल है? मेरे ख्याल से आजकल इम्तहान की वजह से आप लोग सुबह जल्दी उठते होंगें. और फिर तैयार होकर पेपर देने जाते होंगें. मन में कुछ घबराहट सी भी लगती है परीक्षा के दिनों में चिंता के मारे ...मुझे भी लगा करती थी. किन्तु अपने मन को शांत रखें और लगन से पढाई करें घर पर. और बीच में थक जाने पर कुछ आराम कर लें तो दिमाग में ताजगी आ जाती है. खाने में भी अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें...मानसिक ताकत के लिए आप लोग रोज दूध, मेवा व फल भी लें. समय पर सुबह उठ कर तैयार होना, नाश्ता आदि करके निकलें आप लोग और शांत मन से पेपर दें. घबराएँ बिलकुल ना. और परीक्षा देने जाते समय अपने बड़ों का आशीर्वाद जरूर लें. मुझे पता है की आप सभी तन-मन से डटकर अब पढ़ेंगे और अच्छा परिणाम पायेंगे. मेरी तरफ से आप सबको तमाम शुभकामनायें.


इक धोबी के पास गधा



बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-