भाई
कितना नटखट मेरा भाई,
खूब शैतानी करता भाई .
उसकी मस्ती से सब डरते
पर डांट कभी न उसने खाई .
मुझसे लेकिन वह है डरता,
मेरी सब बातें वह सुनता .
चोरी उसकी जब मैं पकड़ूं
वह कान भी अपने पकड़ता .
पढ़ने में वह अव्वल रहता,
गलत नही वह कुछ भी सहता .
खेलकूद में सबसे आगे,
पर मुझसे वह जीत न सकता .
दीवाली हो यां फिर होली,
करता है वह खूब ठिठोली .
लड़ता चाहे कितना मुझसे,
मीठी बड़ी है उसकी बोली .
दुनिया में है सबसे न्यारा,
भाई बहन का रिश्ता प्यारा .
रक्षा बंधन हो यां दूज,
प्यार की बहती पावन धारा .
कवि कुलवंत सिंह