Sunday, March 16, 2008

काली मक्खी


काली मक्खी, काली मक्खी,

तूने क्यों मेरी टाफी चखी,

तेरे पर जो काटूँ रानी,

याद आयेगी तुझको नानी,

भूल जायेगी घर का रस्ता,

नहीं पड़ेगा सौदा सस्ता,

इसलिये मेरी बात ये मानो,

दूजे की चीज पर नज़र न डालो।


- डॉ॰ अनिल चड्डा


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12 पाठकों का कहना है :

seema sachdeva का कहना है कि -

bahut achchi lagi aapki kavita ,bachcho ko behad pasand aayegi , bachcho ke liye achcha sandesh bhi hai.....seema sachdev

Vibha Rani का कहना है कि -

achchhi lagii. ise apane blog chhutpankikavitayen.blospot.com par daalanaa chaahuungi aapke naam ke saath, magar thodi tarmiim ke saath. kahi- kahi lay kat rahi hay, use lay me le aayaa jaaye to bachcho ke lie rasmaay hai yah kavita. izazat ho to bayaayen.

anju का कहना है कि -

बच्चो का मन बहलाने के लिए
ही है

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

विभाजी,
वैसे तो मैने यह कविता लय के साथ ही रची है । यदि आपको उचित लगता है तो आप हल्का सा फेरबदल करके मेरे नाम के साथ छुटपन की कविताएँ ब्लाग पर डाल सकती हैं ।

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

सीमा जी,

बच्चों के लिये रची गई कविता आपको अच्छी लगी, शुक्रिया ।

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

अंजुजी,

ये कविता बच्चों के लिये ही लिखी गई है ।

नियंत्रक । Admin का कहना है कि -

विभा जी,

इस कविता को प्रकाशित करने के बाद यह भी जोड़े कि यह कविता मूल रूप से बाल-उद्यान ब्लॉग पर यहाँ उपलब्ध है।
धन्यवाद

vivek "Ulloo"Pandey का कहना है कि -

बहुत सही लिखा है बच्चों की भावनाओं का विक्षित सव्रूप है

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बहुत बढिया बाल गीत है।

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

बालीजी एवँ एक्लव्यजी,

कविता पसन्द आने का बहुत-बहुत शुक्रिया ।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

अच्छी मक्खी है.. मेरा मतलव अच्छी कविता है
बच्चे पसन्द करेंगे.. और गुनगुनायेंगे भी..

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

राघव जी,

कविता पसन्द आने का शुक्रिया ।

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