हम बच्चे
आज प्रस्तुत है तपन शर्मा जी की बाल कविता - हम बच्चे।
हम बच्चे प्यारे प्यारे हैं,
सब के राज दुलारे हैं।
मीठी हमारी बोली है,
मिसरी उसमें घोली है॥
चंदा हमारे मामा लगते,
सूरज अपने चाचा लगते।
खेल खिलौने हमारी दुनिया,
मम्मी पापा प्यारे लगते॥
टीचर के हम मन को भाते,
दीदी, भैया संग खेलने जाते।
नानी दादी से कहानी सुन कर,
हँसते और हँसाते जाते॥
-तपन शर्मा

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
7 पाठकों का कहना है :
अच्छी बाल-कविता है। नयापन नहीं है।
तबन जी,
बच्चों के लिये लिखने का आनंद ही अलग है, बच्चों के लिये बच्चा बनना पडता है..आप बखूबी बच्चा बने है।
यह बात सत्य है कि कविता में वही पुरानी बाते हैं जो हमेशा से बच्चों से जोड कर अनेको कविताओं में कही गयी हैं। यदि कुछ एसी पंक्तियाँ इस कविता में होती तो आनंद दुगुना हो जाता।
*** राजीव रंजन प्रसाद
तपन जी!
सुंदर कविता के लिये बधाई! छोटे बच्चों को कविता निश्चय ही पसंद आयेगी.
तपन जी! जब आप बच्चों के लिये लिख रहे होते हैं ,स्वयं भी बच्चा ही बन जाना पड़्ता है.
आपके उस सुख का मैं अनुभव कर रहा हूं
सस्नेह
प्रवीण पंडित
तपन जी,
आप चाहें तो कुछ मैज़िक लर्निंग पाठ, विज्ञान गल्प, प्रेक कथाएँ आदि भी बच्चों के लिए चुन सकते हैं। वैसे कविता भी बुरी नहीं है।
सुंदर कविता है।
तपनजी,
बाल-मन का बहुत ही खूबसूरत काव्य रूपांतरण किया है आपने। बच्चे इसे गुनगुनाकर निश्चय ही स्वयं को खिला-खिला सा महसूस करेंगे।
बधाई!!!
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)