चीनी चिड़ियों की कहानी
एक समय की बात है, दूर चीन देश में एक पहाड़ पर एक छोटा सा पेड़ था। उस पेड़ पर दो चीनी चिड़िया के बच्चे रहते थे। एक का नाम अन्नू था और दूसरे का था लूनू। दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनो हमेशा साथ साथ खेला करते।
एक दिन जब लूनू सो रही थी और अन्नू अपने घोंसले के छज्जे पर बैठी थी, तो अन्नू ने देखा कि दूर से एक बादल, जाने कहाँ से टहलता हुआ उसकी तरफ़ ही चला आ रहा है। बादल ने अपने सर पे दो मटके पानी के रखे हुये थे। बादल उनके घोंसले तक जैसे ही आया। अन्नू ने बादल से पूछा "क्यों भैया कहाँ जा रहे हो "? बादल ने कहा "मैं तो होली खेलने जा रहा हूँ "। और यह कहते ही उसने दो मटकी पानी अन्नू पर उड़ेल दिया और अन्नू पूरी गीली हो गई। अन्नू को ज़ुकाम हो गया। उसे सर्दी लग गई थी। वो दुबक के अपनी रजाई में बैठ गई। उसने लूनू को जगाया और कहा "बहना ज़रा एक कप चाय तो बना कर ला दे। मुझे सर्दी लगी है। " तो लूनू झट से रसोई में गई और एक गिलास लाकर अन्नू को देकर बोली "गरम गरम दूध पिया करो क्योंकि चीनी चिडिया कभी चाय नहीं पीतीं" !
कुछ दिन बाद फिर वो शरारती बादल आया। अबकी बार उसने लूनू के ऊपर पानी डालने की कोशिश की। लूनू को अन्नू की बहती हुई नाक याद हो आई। उसे ज़ोर का गुस्सा आया। वो अपना बल्ला उठा कर बादल के पीछे भागी। फिर क्या था मोटा बादल आगे आगे और लूनू पीछे पीछे। थोडी ही दूर जाके छोटी सी लूनू चिडिया गिर पड़ी। वो रोने लगी। उसके घुटने में चोट लग गई थी। अन्नू चिडि़या पीछे खडी यह सब देख रही थी, वो झट से दौड़ी आई। उसने लूनू को उठाया और उसके घुटने से मिट्टी साफ़ करते हुये बोली "चीनी बच्चे रोते नहीं हैं। अगर वो कभी गिर भी जाते हैं तो मिट्टी साफ़ करके हंसते हुये फिर से दौड़ने लगते हैं "! फिर क्या दोनो चिड़िया के बच्चे चीं चीं चीं चीं चीं चीं करते हुये फिर से खेलने लगे।
- उर्मिला

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6 पाठकों का कहना है :
कहानी मनोरंजक है और बच्चे इसका आनंद अवश्य ही उठायेंगे किन्तु मुझे इसमे कुछ कम सा लगा , लेखक को हतोत्साहीत करना उद्देश्य नहीं है मेरा किन्तु कथा मे कुछ रवानगी और बच्चों के लिये कोई संदेश होता तो अच्छा होता |
सुंदर कहानी है पर थोड़े से चित्रों के साथ दी जाती तो बहुत अच्छी लगती
फ़िर भी बच्चे इसमें दिये नाम अन्नू ,लूनू के साथ इसको पसंद करेंगे :)...शुभकामनाये
उर्मिला जी,
कई अनूठी बातें बच्चों को भी रोचक लगेंगी जैसे "दूर चीन देश में एक पहाड़ पर",घोंसले के छज्जे पर" "बादल ने अपने सर पे दो मटके पानी के रखे हुये थे", "क्योंकि चीनी चिडिया कभी चाय नहीं पीतीं"
बच्चों को एसी कल्पनायें प्रिय होती हैं। कहानी रोचक भी है लेकिन परेशान करने वाले बादल को कोई सबक मिलता तो बच्चों को कहानी सुनते हुए ताली बजाने की जगह मिल जाती :)
*** राजीव रंजन प्रसाद
अच्छा प्रयास है । बधाई ।
@ ऋषिकेश जी,
यहाँ उद्देश्य बच्चों को उनके कालपनिक मन को उड़ान देना है, और कुछ नई बातो से परिचय करना भी। जैसे चीनी केवल चीनी नहीं चीनी भी है :), छोटे छोटे शब्द जैसे छज्जे जो कि नई पीड़ी के शब्द्कोश से गायब होते जा रहे हैं, उनके बारे में जिञासा उत्पन्न करना भी। हर कहानी में संदेश हो यह आवश्यक नहीं। पर यहाँ संदेश हैं, so to make it not too obvious, let the child think n ask and come to some conclusion.
@ राजीव जी,
उस नालायक बादल कि पिटाई अगली कहानी में होगी :)
उर्मिला जी बादल की पिटाई जल्द कीजिये...आपकी अगली पोस्ट की प्रतीक्षा है।
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